इतना कैश मिला कि गिन-गिन कर थक गई ED! आखिर में मंगानी पड़ी मशीन, आखिर एक नौकर के घर कहां से आया इतना सारा पैसा ?

इतना कैश मिला कि गिन-गिन कर थक गई ED! आखिर में मंगानी पड़ी मशीन, आखिर एक नौकर के घर कहां से आया इतना सारा पैसा ?

झारखंड में ईडी की कार्रवाई के बाद मिले करोड़ों के कैश ने सबको हैरान कर दिया है। यहां झारखंड सरकार में मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव पाल के हाउस हेल्पर के घर ईडी ने रेड की जहां ईडी को 20 से 30 करोड़ का कैश मिला है। इसके अलावा  3 करोड़ का कैश एक दूसरे ठिकाने से मिला है। ईडी ने 6 अलग-अलग जगहों पर छापेमारी की है। बरामद नकदी की गिनती अभी की जा रही है। बताया जा रहा है कि इस नकदी में ज्यादातर नोट 500 रुपये के हैं। इसके अलावा कुछ ज्वेलरी भी बरामद हुई है।

आपको बता दें कि ईडी ने ये छापेमारी वीरेंद्र के. राम से जुड़े मनी लॉड्रिंग मामले में की है। वीरेंद्र के. राम झारंखंड ग्रामीण विकास विभाग के पूर्व चीफ इंजीनियर हैं। जो एक साल से ज्यादा समय से जेल में बंद हैं।

पिछले साल फरवरी में वीरेंद्र के. राम को ईडी ने गिरफ्तार किया था। उन पर ग्रामीण विकास विभाग में कई योजनाओं को लागू करने में अनियमितताएं बरतने का आरोप है। ये मामला साल 2019 से शुरू हुआ था जब वीरेंद्र के. राम के एक सहयोगी के यहां से बड़ी मात्रा में कैश बरामद हुआ था। इसी के बाद ईडी ने मनी लॉंड्रिंग का केस दर्ज किया था। झारखंड की एंटी-करप्शन ब्यूरो की शिकायत पर वीरेंद्र के. राम के खिलाफ मनी लॉंड्रिंग का केस दर्ज हुआ था।

बीते साल ईडी ने ये भी आरोप लगाया थआ कि वीरेंद्र ने ठेकेदारों को टेंडर देने के बदले में कमीशन के तौर पर कथित रूप से आपराधिक आय जुटाई।

अब सवाल आता है कि इस छापेमारी में आलमगीर आलम का नाम क्यों आया ?

तो आपको बता दें कि आलमगीर आलम झारखंड सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री हैं।  आज ईडी उनके निजी सचिव संजीव पाल के हाउस हेल्पर के यहां छापेमारी कर रही है। जिसमें ईडी को बड़ी मात्रा में कैश मिला है। 20 से 30 करोड़ के बीच ये कैश बताया जा रहा है। और अब हालत ऐसी है कि ईडी को कैश को गिनने के लिए काउंटिंग मशीन मंगानी पड़ी है। बताया जा रहा है कि ईडी ने हाउस हेल्पर के घर के अलावा और भी कई ठिकानों पर रेड की है। ईडी ने सड़क निर्माण विभाग के इंजीनियर विकास कुमार के घर पर भी ईडी की टीम ने रेड डाली है।

आपको बता दें कि ईडी ने वीरेंद्र राम के खिलाफ जो कार्रवाई की थी, वो 10 हजार रुपये की रिश्वत से जुड़ा मामला था। नवंबर 2019 में एंटी क्रप्शन ब्यूरो ने वीरेंद्र राम के सहयोगी जूनियर इंजीनियर सुरेश प्रसाद वर्मा को एक ठेकेदार से 10 हजार रुपये की घूस लेते हुए पकड़ा था। हालांकि कहा जाता है कि सुरेश वर्मा ने ठेकेदार से एक लाख रुपये की घूस मांगी थी। अब जिस वक्त सुरेश वर्मा को रिश्वत लेते पकड़ा गया था, वो जमशेदपुर में वीरेंद्र के. राम के घर में रहता था। उस वक्त एसीबी को सुरेश वर्मा के घर से दो करोड़ रुपये से ज्यादा का कैश बरामद हुआ था। उस वक्त सुरेश वर्मा ने ये अपने दावे में कहा थआ कि ये पैसे वीरेंद्र राम के हैं और उनके रिश्तेदार ने उनके पास रखने के लिए दिए हैं।

अब जब पिछले साल गिरफ्तारी के बाद ईडी ने पूर्व चीफ इंजीनियर वीरेंद्र के. राम के बयान दर्ज किए तो उसने बताया कि रिश्वत का पैसा मंत्री के घर पहुंचाया जाता है। इस तरह से पहली बार आलमगीर आलम का नाम सामने आया था। इसी मामले की आगे की जांच के दौरान आलमगीर के PS संजीव लाल का नाम भी सामने आया था।

पिछले साल जब गिरफ्तारी के बाद ईडी ने पूर्व चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम का बयान दर्ज किया था, तो उन्होंने बताया था कि रिश्वत का पैसा मंत्री के घर पहुंचाया जाता है. ये पहली बार था जब मंत्री आलमगीर आलम का नाम सामने आया था. इसी जांच के दौरान ही आलमगीर के निजी सचिव संजीव पाल का नाम भी आया था.

हालांकि छापेमारी की इस पूरी कार्रवाई में आलमगीर आलम अपने निजी सचिव संजीव पाल से पीछा छुड़ाते नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि संजीव पाल एक सरकारी कर्मचारी हैं और अनुभवके आधार पर उनकी नियुक्ति की जाती है वो पहले भी दो पूर्व मंत्रियों के निजी सचिव रह चुके हैं। उन्होंने आगे कहा कि ईडी की जांच पूरी होने से पहले टिप्पणी करना सही नहीं होगा।

बहरहाल इस मामले के सामने आने के बाद जहां बीजेपी को एक दम नया मुद्दा मिल गया है तो वहीं झारखंड सरकार के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है।