उत्तराखंड:ग्रामीणों ने नहीं होने दिया कोरोना संक्रमित का शवदाह, प्रशासन की टीम पर किया पथराव

उत्तराखंड:ग्रामीणों ने नहीं होने दिया कोरोना संक्रमित का शवदाह, प्रशासन की टीम पर किया पथराव
उत्तराखंड:ग्रामीणों ने नहीं होने दिया कोरोना संक्रमित का शवदाह, प्रशासन की टीम पर किया पथराव

पिथौरागढ़: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ एक मानवता को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। जिले के तीतरी और स्यालतड़ के गांववालों ने एक कोरोना संक्रमित मृतक का अंतिम संस्कार गांव के तय श्मशान पर नहीं करने दिया। शव पहुंचने की जानकारी मिलने पर गांव वाले लाठी-डंडे लेकर श्मशानघाट पहुंच गए। उन्होंने राजस्व और स्वास्थ्य विभाग की टीम पर पथराव भी कर दिया। मृतक के परिजनों की मार्मिक प्रार्थना पर भी गांववाले नहीं माने। आखिरकार टीम को दूसरे घाट पर मृतक की अंत्येष्टि करनी पड़ी। कनालीछीना की तहसीलदार ने अस्कोट पुलिस को पथराव करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
दरअसल कनालीछीना के ख्वांकोट गांव में कुछ दिन पूर्व 44 लोग कोरोना संक्रमित मिले थे। यहीं के एक 97 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो गई। इस बीच शव को लेकर प्रोटोकॉल का पालन कर स्वास्थ्य विभाग, राजस्व विभाग की टीम के साथ परिजन तीतरी और स्यालतड़ के निकटवर्ती घाट पर पहुंचे। पीपीई किट पहनकर आई टीम को ग्रामीणों ने देख लिया।
इसके विरोध में एकत्र ग्रामीण लाठी, डंडे लेकर घाट पर पहुंच गए और कोरोना संक्रमित का शव हटाने की मांग कर हंगामा करने लगे। इस दौरान टीम पर पथराव भी किया गया। गनीमत रही कि किसी को चोट नहीं आई।टीम और मृतक के परिजनों ने ग्रामीणों से शवदाह करने देने की मार्मिक अपील भी की, लेकिन ग्रामीण नहीं माने। ग्रामीणों के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए टीम ने शव को वहां से दूसरे घाट पर ले जाकर अंतिम संस्कार किया। संकट काल में घाट पर शवदाह न करने देने की इस घटना की जिलेभर के लोगों ने निंदा की है।
नेपाल के लोगों ने भी काली नदी के किनारे कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार करने का विरोध किया है। उन्होंने भी शव को नदी किनारे न जलाने की मांग कर भारतीय प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए। उनका कहना है कि कोरोना संक्रमितों के शव उनके गांव के नजदीकी घाट पर जलाना निंदनीय है। इससे उनके क्षेत्र के लोग भी संक्रमित हो सकते हैं। कनालीछीना की नायब तहसीलदार मनीषा बिष्ट ने कहा कि संक्रमित मृतक का अंतिम संस्कार करने गई टीम में मैं खुद भी शामिल थी। ग्रामीणों का इस तरह का व्यवहार निंदनीय है। घटनास्थल रेगुलर पुलिस के कार्यक्षेत्र में आता है, इसलिए टीम के खिलाफ गलत व्यवहार करने वाले ग्रामीणों के विरुद्ध आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करने के निर्देश अस्कोट पुलिस को दिए गए हैं। लोगों से अपील है कि इस तरह के मामलों को भयावह न बनाएं, कोरोना के खिलाफ जंग में प्रशासन और सरकार की मदद करें।