अरविंद केजरीवाल जेल में ही रहेंगे, हाईकोर्ट से नहीं मिली जमानत, निचली अदालत का फैसला रद्द, जानिए क्या है पूरा मामला ?
अरविंद केजरीवाल फिलहाल जेल में ही रहेंगे। दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका देते हुए निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया है । जिसके तहत अब केजरीवाल जेल में ही रहेंगे। इससे पहले जब निचली अदालत से अरविंद केजरीवाल को जमानत मिली थी तो उसके बाद ईडी ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख अपनाया था। मामले में सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 25 जून तक फैसला आने तक जमानत पर रोक लगा दी थी। और अब हाईकोर्ट ने जमानत के फैसले को रद्द कर दिया है।
ये कथित शराब घोटाला मामला है जिसके तहत केजरीवाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। मामले में जस्टिस सुधीर कुमार जैन की पीठ ने कहा कि निचली अदालत ने ईडी की ओर से पेश की गई सामग्री विचार नहीं किया और ईडी को अपना पक्ष रखने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया।
हाईकोर्ट ने ये आदेश ईडी की उस याचिका पर दिया जिसमें केजरीवाल को जमानत देने के 20 जून को पारित निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
हाईकोर्ट ने कहा कि, "निचली अदालत की यह टिप्पणी कि बहुत अधिक सामग्री पर विचार नहीं किया जा सकता, पूरी तरह अनुचित है और यह दर्शाता है कि निचली अदालत ने सामग्री पर विचार नहीं किया है। अवकाशकालीन अदालत को ईडी को जमानत आवेदन पर बहस करने का पर्याप्त अवसर देना चाहिए।"
हाईकोर्ट ने आगे कहा कि निचली अदालत ने धन शोधन निवारण अधिनियम(PMLA) की धारा 45 के तहत जमानत के लिए दोहरी शर्तों पर तर्क को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं किया।
हाईकोर्ट ने कहा कि "यह तर्क काफी मजबूत था कि अवकाश न्यायाधीश की ओर से धारा 45 पीएमएलए की दोहरी शर्त पर विचार-विमर्श नहीं किया गया। इस न्यायालय का मानना है कि धारा 45 पीएमएलए पर ट्रायल कोर्ट की ओर से उचित रूप से विचार-विमर्श नहीं किया गया है।"
इसके अलावा, उच्च न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत का यह निष्कर्ष कि ईडी की ओर से दुर्भावना थी, गलत है क्योंकि उच्च न्यायालय ने ही अपने पिछले आदेश में केजरीवाल के इस तरह के दावे को खारिज कर दिया था।
एकल न्यायाधीश ने कहा कि, "सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एएसजी ने ट्रायल कोर्ट के आदेश के पैरा 27 का उल्लेख किया है, जहां न्यायाधीश ने ईडी की दुर्भावना के बारे में बात की है। लेकिन इस अदालत की समन्वय पीठ ने कहा है कि ईडी की ओर से कोई दुर्भावना नहीं थी। ट्रायल कोर्ट को ऐसा कोई निष्कर्ष नहीं देना चाहिए था, जो उच्च न्यायालय के निष्कर्ष के विपरीत हो।"
आपको बता दें कि निचली अदालत ने केजरीवाल को 20 जून को जमानत दे दी थी और एक लाख रुपये के जमानत बॉंड पर रिहा करने का आदेश दिया था।
राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट) नियाय बिंदु ने कहा कि ईडी केजरीवाल को अपराध की आय से जोड़ने वाला कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य देने में विफल रहा है और यह भी दिखाने में विफल रहा है कि एक अन्य आरोपी विजय नायर केजरीवाल की ओर से काम कर रहा था।
विशेष न्यायाधीश ने यह भी कहा था कि ईडी केजरीवाल के खिलाफ पक्षपातपूर्ण तरीके से काम कर रहा है।
निचली अदालत की इस टिप्पणी के बाद ईडी ने तुरंत दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया और मामले में तत्काल सुनवाई सुनिश्चित की।
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जैन ने 21 जून को मामले की सुनवाई की और मामले में अपना अंतिम आदेश सुरक्षित रखते हुए केजरीवाल की जमानत पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया। आज अंतिम आदेश पारित किया गया।
इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री ने सोमवार को उच्च न्यायालय की ओर से अंतरिम रोक को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसमें इस तरह के रोक आदेश को "असामान्य" बताया।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह हाईकोर्ट के अंतिम आदेश का इंतजार करेगी और मामले की सुनवाई 26 जून को तय की।
आपको बता दें कि केजरीवाल को 21 मार्च को ईडी ने इस आरोप में गिरफ्तार किया था कि वह कुछ शराब विक्रेताओं को लाभ पहुंचाने के लिए 2021-22 के लिए अब समाप्त हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति में जानबूझकर खामियां छोड़ने की साजिश का हिस्सा थे।
ईडी ने केजरीवाल पर लगाए अपने आरोपों में कहा है कि शराब विक्रेताओं से प्राप्त रिश्वत का इस्तेमाल गोवा में आम आदमी पार्टी (आप) के चुनावी अभियान के लिए किया गया था और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक होने के नाते केजरीवाल व्यक्तिगत और अप्रत्यक्ष रूप से धन शोधन के अपराध के लिए उत्तरदायी हैं।
हालांकि केजरीवाल ने आरोपों से इनकार किया है और ईडी पर जबरन वसूली का रैकेट चलाने का आरोप लगाया है।
इसी मामले में अब तक दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और सांसद संजय सिंह गिरफ्तार किए गए हैं। जिनमें से संजय सिंह फिलहाल जमानत पर हैं और मनीष सिसोदिया अभी जेल में ही बंद हैं।