राहुल गांधी लोकसभा में बने नेता विपक्ष, जानिए क्या-क्या मिलेंगे अधिकार, सरकारी कामों पर कैसे रख पाएंगे नजर?

राहुल गांधी लोकसभा में बने नेता विपक्ष, जानिए क्या-क्या मिलेंगे अधिकार, सरकारी कामों पर कैसे रख पाएंगे नजर?

18वीं लोकसभा को अपना नेता विपक्ष मिल चुका है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को नेता विपक्ष बनाया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर मंगलवार शाम को हुई इंडिया ब्लॉक की बैठक में ये फैसला लिया गया। जिसकी जानकारी बाद में प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को दी गई। आपको बता दें कि गांधी परिवार को तीसरी बार लोकसभा में नेता विपक्ष का पद मिला है। इससे पहले राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी नेता विपक्ष रह चुकी हैं। वे 13 अक्टूबर 1999 से 6 फरवरी 2004 तक नेता प्रतिपक्ष रही थीं । वहीं राहुल गांधी के पिता और देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। वे 18 दिसंबर 1989 से 24 दिसंबर 1990 तक नेता विपक्ष रहे थे।

10 साल बाद लोकसभा को आधिकारिक तौर पर कोई नेता विपक्ष मिला है।क्योंकि 2014 और 2019 में पार्टी के पास इतने सांसद नहीं थे कि सदन में कोई नेता प्रतिपक्ष बन पाए। क्योंकि ये नियम है कि नेता प्रतिपक्ष के लिए आपकी पार्टी के पास सदन की कुल संख्या के कम से कम 10 फीसदी सांसद होने चाहिए। 2014 और 2019 में कांग्रेस के पास संख्या कम थी। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस 99 सीट जीत कर आई तो उसके पास ये पद पाने का हक हो गया।

अब सवाल आता है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद आने से राहुल गांधी को क्या अधिकार मिल जाएंगे। और नेता प्रतिपक्ष का पद क्यों महत्वपूर्ण है? और सवाल ये भी कि ये कितना ताकतवर पद है?

आपको बता दें कि नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद अब राहुल गांधी उस कमेटी का हिस्सा बन जाएंगे, जो सीबीआई के डायरेक्टर, सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर, मुख्य सूचना आयुक्त, लोकपाल या लोकायुक्त, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के चेयरपर्सन और सदस्य और भारतीय निर्वाचन आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करती है।
यानी 18वीं लोकसभा में जब-जब इन पदों पर नियुक्तियां होंगी, तो राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष के तौर पर उसी टेबल पर बैठेंगे, जहां पीएम मोदी बैठेंगे, ये नजारा पहली बार ही आपको देखने को मिलेगा। बड़ी बात ये भी है कि जब इन नियुक्तियों पर फैसला लेने की बात होगी तो पीएम मोदी को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी से भी उनकी सहमति लेनी होगी।

नेता प्रतिपक्ष बनने पर राहुल गांधी सरकार के आर्थिक फैसलों की लगातार समीक्षा कर पाएंगे और सरकार के फैसलों पर अपनी बात भी रख पाएंगे। मुद्दे पर टिप्पणी भी कर सकेंगे। साथ ही राहुल गांधी लोक लेखा समिति के भी प्रमुख बन जाएंगे। ये लोक लेखा समिति सरकार के सारे खर्चों की जांच करती है। और उनकी समीक्षा करने के बाद टिप्पणी भी करती है।

 

नेता प्रतिपक्ष बनने पर राहुल गांधी को ना सिर्फ अधिकार मिले हैं बल्कि सुविधाएं भी मुहैया करवाई जाएंगी। जो एक कैबिनेट मंत्री स्तर की होती हैं। नेता प्रतिपक्ष होने के चलते उन्हें कैबिनेट मंत्री की तरह सरकारी सचिवालय में एक ऑफिस मिलेगा। कैबिनेट मंत्री की ही तरह हाई लेवल की सुरक्षा मिलेगी। साथ ही उन्हें मासिक वेतन और दूसरे भत्तों के लिए 3 लाख 30 हजार रुपये मिलेंगे। जो एक सांसद के वेतन से कहीं ज्यादा हैं। क्योंकि एक सांसद को वेतन और दूसरे भत्ते मिलाकर हर महीने करीब सवा दो लाख रुपये मिलते हैं।

नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद अब राहुल गांधी को वैसा ही सरकारी घर मिलेगा जैसा कैबिनेट मंत्रियों को मिलता है। साथ मुफ्त हवाई यात्रा, रेल यात्रा, सरकारी गाड़ी और दूसरी सुविधाएं भी मिलेंगी।