सीएम केजरीवाल ने भगवंत मान के साथ अमृतसर में किया पहले स्कूल ऑफ एमिनेंस का उद्घाटन

सीएम केजरीवाल ने भगवंत मान के साथ अमृतसर में किया पहले स्कूल ऑफ एमिनेंस का उद्घाटन

दिल्ली के बाद अब पंजाब में भी शिक्षा क्रांति का आगाज हो गया है। ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को पंजाब के सीएम भगवंत मान के साथ अमृतसर में पहले स्कूल ऑफ एमिनेंस का उद्घाटन कर शिक्षा क्रांति की शुरूआत की। स्कूल उद्घाटन के बाद एक जनसभा को संबोधित करते हुए ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमने वादा किया था कि आपके बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी मेरी है।

सीएम भगवंत मान के नेतृत्व में ‘‘आप’’ की सरकार ने उसे पूरा करना शुरू कर दिया है। पंजाब में 117 और शानदार स्कूल बनाने काम शुरू हो चुका है। साथ ही सभी सरकारी स्कूलों का भी कायाकल्प किया जाएगा। उन्होंने पंजाब की जनता से अपील करते हुए कहा कि जो भी आपसे धर्म के नाम पर वोट मांगने आए तो उनसे पूछना कि हमारे बच्चों को अच्छी शिक्षा और इलाज दोगे। पूरे देश में सिर्फ आम आदमी पार्टी ही है, जो काम के नाम पर वोट मांगती है।

अब पंजाब के लोग अपने बच्चे को प्राइवेट स्कूलों से निकाल कर सरकारी स्कूल में भर्ती कराएंगे- अरविंद केजरीवाल
तीन दिवसीय दौरे पर पंजाब पहुंचे आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को अमृतसर में स्कूल ऑफ एमिनेंस का उद्घाटन किया। इस दौरान पंजाब के सीएम भगवंत मान के साथ उन्होंने पूरे स्कूल का भ्रमण करके उपलब्ध सुविधाओं का जायजा लिया। स्कूल में बच्चों को विश्वस्तरीय शिक्षा देने के लिए सभी जरूरी सुविधाओं का इंतजाम किया गया है और बच्चों व उनके अभिभावकों से बात की।

इसके बाद ‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के सीएम भगवंत मान के साथ अमृतसर में एक जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूल का उद्घाटन होना कोई बडी बात नहीं है। लेकिन आज हम गुरुओं की इस पवित्र धरती पर जिस सरकारी स्कूल का उद्घाटन किए हैं, वो कोई मामूली स्कूल नहीं है। मैं चैलेंज के साथ कह सकता हूं कि पूरे पंजाब में बडे प्राइवेट स्कूल में भी वो सुविधाएं नहीं होंगी, जितनी सुविधाएं स्कूल ऑफ एमिनेंस में है। पंजाब में करीब 20 हजार सरकारी स्कूल हैं। इसमें बेंच नहीं है, बच्चे टाट पर बैठते हैं। छतों से पानी गिरता है, दीवारें टूटी पड़ी है। टीचर नहीं हैं, पीने को पानी नहीं है, टायलेट में गंदगी है। बच्चियों को टॉयलेट के लिए स्कूल छोड़कर घर जाना पड़ता है। स्कूलों में बाउंड्रीवाल नहीं है, चौकीदार नहीं है।