पंजाब पुलिस के साईबर क्राइम डिवीज़न और एन. जी. ओ. प्रजवला द्वारा सांझे तौर पर साईबर इनेबलड मानवीय तस्करी पर वर्कशॉप का आयोजन

पंजाब पुलिस के साईबर क्राइम डिवीज़न और एन. जी. ओ. प्रजवला द्वारा सांझे तौर पर साईबर इनेबलड मानवीय तस्करी पर वर्कशॉप का आयोजन
पंजाब पुलिस के साईबर क्राइम डिवीज़न और एन. जी. ओ. प्रजवला द्वारा सांझे तौर पर साईबर इनेबलड मानवीय तस्करी पर वर्कशॉप का आयोजन
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की सोच अनुसार पुलिस अधिकारियों की जांच क्षमता में विस्तार करना था वर्कशॉप का उद्देश्य
 
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की सोच अनुसार साईबर अपराध (क्राइम) से निपटने वाले पुलिस अधिकारियों की जाँच क्षमता को बढ़ाने के मद्देनज़र पंजाब पुलिस के साईबर क्राइम डिविज़न ने एन. जी. ओ. प्रजवला के सहयोग से पंजाब स्टेट साईबर क्राइम डिविज़न के मोहाली स्थित दफ़्तर में साईबर इनेबलड ह्यूमन ट्रैफिकिंग (मानवीय तस्करी) पर एक दिवसीय आफलाईन/ ऑनलाइन वर्कशॉप का आयोजन किया गया। यह वर्कशाप डायरैक्टर जनरल आफ पुलिस (डी. जी. पी.) पंजाब गौरव यादव के दिशा निर्देशों पर करवाई गई। 
एन. जी. ओ. प्रजवला, यौन तस्करी और यौन अपराधों के मुद्दे पर काम करने वाली एक अग्रणी एंटी-ट्रैफिकिंग संस्था है, जिसने पिछले 27 सालों में 27,500 से अधिक महिलाओं और लड़कियों को यौन ग़ुलामी से बचाने में पुलिस की सहायता की है और इस ग़ैर-मानवीय जाल में से ऐसी पीड़ित लड़कियों की रिहाई को यकीनी बनाया है। 
साईबर-इनेबलड मानवीय तस्करी विषय पर तीन घंटे चले इस सैशन में पंजाब के साईबर क्राइम यूनिटों में काम करते 50 अधिकारियों ने निजी तौर पर हिस्सा लिया, जबकि पंजाब पुलिस के 100 से अधिक अधिकारी वीडियो कान्फ़्रेंस के द्वारा इस वर्कशाप में शामिल हुए। 

सैशन की शुरुआत भारत में मानवीय तस्करी के मुद्दे और भारतीय दंड संहिता ( आइपीसी) की धारा 370 पर चर्चा के साथ हुई, इसके बाद एक पेशकारी दी गई कि कैसे तस्करों द्वारा पीड़ितों की भर्ती के दौरान अलग-अलग ढंगों के साथ शोषण किया जाता है। 
वर्कशाप के दौरान प्रतिभागियों को साईबर क्राइम और साईबर इनेबलड मानवीय तस्करी से निपटने के लिए लॉ इनफोरसमैंट एजेंसियों के द्वारा इस्तेमाल किये जाते प्लेटफार्मों और ऐपलीकेशनों का प्रदर्शन करके जागरूक किया गया। वर्कशाप के दौरान प्रौद्यौगिकी से सुलझाए तस्करी पीड़ितों के मामलों और साईबर इलेबलड मानवीय तस्करी से सम्बन्धित कुछ अंतरराष्ट्रीय केस स्टड्डीज़ भी पेश की गई। प्रस्तुतिकरण के बाद स्टेट साईबर क्राइम डिवीज़न के प्रतिभागियों, जो पहले ही इन अपराधों पर काम कर रहे हैं, के साथ ‘केंद्रित विचार चर्चा’ की गई। 
वर्कशॉप में ऑनलाइन ढंग से शामिल हुए अतिरिक्त डायरैक्टर जनरल ऑफ पुलिस (एडीजीपी) साईबर क्राइम वी. नीरजा ने कहा कि स्टेट साईबर क्राइम डिविज़न में काम कर रही संस्था साईबर क्राइम प्रीवैशन अगेंस्ट वुमैन एंड चिल्डरन (सी. सी. पी. डब्ल्यू. सी.) के लिए महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध साईबर अपराधों सम्बन्धी मामलों से निपटना प्रमुख प्राथमिकता है। 
उन्होंने कहा कि राज्य साईबर क्राइम डिवीज़न द्वारा साईबर अपराधों, ख़ास कर महिलओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों की निगरानी के लिए साईबर पैटरोलिंग यूनिट स्थापित करके अपनी क्षमता में भी विस्तार किया जायेगा। उन्होंने कहा कि जिलों में कार्यशील साईबर क्राइम और तकनीकी जांच यूनिट पहले ही साईबर टिपलाईनों समेत साईबर अपराधों को रोकने के लिए यत्नशील हैं। 
एडीजीपी ने कहा कि ऐसे अपराधों की सूचना नेशनल साईबर क्राइम (एनसीआरपी) के पोर्टल ूू. बलइमतबतपउम. हवअ. पद. पर गुप्त तौर पर दी जा सकती है। 
वर्कशाप के दौरान केस स्टड्डीज़ और अन्य देशों में प्रचलित कानूनी प्रथाओं पर भी चर्चा की गई और साईबर स्पेस में मानवीय तस्करी को ट्रैक करने के लिए केस स्टड्डीज़ के तरीके सुझाऐ गए।