बलोचिस्तान की निर्वासित प्रधानमंत्री नायला कादरी बलोच ने हरिद्वार में की मां गंगा की पूजा

बलोचिस्तान की निर्वासित प्रधानमंत्री नायला कादरी बलोच ने हरिद्वार में की मां गंगा की पूजा
बलोचिस्तान की निर्वासित प्रधानमंत्री नायला कादरी बलोच ने हरिद्वार में की मां गंगा की पूजा

हरिद्वार:आजाद बलूचिस्तान के निर्माण के लिए बलोचिस्तान की निर्वासित प्रधानमंत्री नायला कादरी बलोच ने मां गंगा के साथ ही भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की। उन्होंने पाकिस्तान के अवैध कब्जे से आजादी के लिए संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समर्थन मांगा। बलूचिस्तान की निर्वासित सरकार की प्रधानमंत्री नायला कादरी बलोच ने हरिद्वार पहुंचकर महादेव की पूजा की। वीआईपी घाट पर अखंड परशुराम अखाड़ा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक, महामंडलेश्वर स्वामी हितेश्वरानंद सरस्वती, कथावाचक पवनकृष्ण शास्त्री आदि ने उनका स्वागत किया।
नायला कादरी बलोच ने आजाद बलूचिस्तान के निर्माण के लिए मां गंगा के साथ ही देवाधिदेव भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की। उन्होंने पाकिस्तान के अवैध कब्जे से आजादी के लिए संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समर्थन मांगा।
कादरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार के पास आज संयुक्त राष्ट्र में बलूचिस्तान के समर्थन में बोलने का मौका है, जो कल उनके पास नहीं हो सकता है। उन्होंने बताया कि बलूचिस्तान, जो कभी एक स्वतंत्र देश था, पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है, जो इसके खनिज संसाधनों को लूट रहा है और अपने लोगों पर हर तरह के अत्याचार कर रहा है। बलूच लड़कियों के साथ दुष्कर्म  किया जा रहा है, घरों और बगीचों में आग लगाई जा रही है।
सनातन धर्म के उपासना स्थलों में मिलता है प्यार और सम्मान
गंगा तट से उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के मंदिरों को तोड़ने वालों की औलादों को अपने पुरखों के कुकृत्य पर माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के उपासना स्थलों में प्यार और सम्मान मिलता है। इससे वह पूरी तरह अभिभूत हैं। सनातन धर्म के मंदिर और उपासना स्थल सम्पूर्ण मानवता के लिये प्रेम और सम्मान से भरे हैं। पता नहीं वह कौन सा पागलपन है जो कुछ लोगों को ऐसे मंदिर और उपासना स्थल को तोड़ने की इजाजत देता है। मंदिरों को तोड़ने वाले कोई राजा, महाराजा या सुल्तान नहीं थे बल्कि चोर डाकू थे। यदि ऐसे चोर डाकुओं की औलादें कहीं हैं या कोई खुद को उनकी औलाद मानता है तो उसे अपने पुरखों के कारनामों पर शर्मिंदा होना चाहिए।