ट्रेन, बस से सवार होकर दिल्ली आ रहे किसान, जानें अगली रणनीति 

ट्रेन, बस से सवार होकर दिल्ली आ रहे किसान, जानें अगली रणनीति 

 सभी फसलों पर एमएसपी गारंटी कानून बनाने समेत अन्य मांगों को लेकर किसान 14 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में महापंचायत करने आ रहे हैं. इसके लिए दिल्ली पुलिस ने एनओसी दे दी है. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने किसानों और मजदूरों से 14 मार्च को दिल्ली के रामलीला में होने वाली विशाल और शांतिपूर्ण किसान मजदूर महापंचायत में शामिल होने और इसे सफल बनाने की अपील की है. रिपोर्ट के अनुसार, इस आयोजन को राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और सफल बनाने के लिए व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए तैयारियां जोरों पर हैं. वहीं, एसकेएम ने महापंचायत में भाकियू (चढूनी) के शामिल होने का स्वागत किया है. 

14 मार्च को रामलीला मैदान में जुटेंगे किसान संगठन
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 14 मार्च को दिल्ली के रामलीला में होने वाली शांतिपूर्ण किसान मजदूर महापंचायत में किसानों और मजदूरों को शामिल होने की अपील की है. एसकेएम ने महापंचायत में भाकियू (चढूनी) के शामिल होने का स्वागत किया है. महापंचायत केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ लड़ाई को तेज करने और खेती, खाद्य सुरक्षा, आजीविका के लिए संकल्प पत्र अपनाएगी. महापंचायत में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, अन्य ट्रेड यूनियनों, क्षेत्रीय फेडरेशनों और एसोसिएशनों के संयुक्त मंच के प्रतिनिधि भाग लेंगे. एसकेएम ने सभी लोगों और संगठनों, मजदूरों, छात्रों, युवाओं और महिलाओं के संघों से महापंचायत में शामिल होने की अपील की है.

दिल्ली पुलिस प्रशासन ने महापंचायत को एनओसी दी
दिल्ली पुलिस ने 14 मार्च 2024 को रामलीला मैदान में महापंचायत के लिए दिल्ली नगर प्रशासन के सहयोग से पार्किंग स्थल और पानी, शौचालय, एम्बुलेंस जैसी अन्य बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करने के लिए एनओसी जारी कर दी है. महापंचायत में आसपास के राज्यों से किसान शामिल होंगे. अधिकांश किसान ट्रेनों से आ रहे हैं. बसों और चार पहिया वाहनों पर संबंधित संगठनों के झंडों के अलावा खिड़की पर स्टिकर भी होंगे, ताकि दिल्ली तक बिना किसी परेशानी के परिवहन की सुविधा हो सके और किसानों को उतारने के बाद उन्हें तय स्थानों पर पार्क किया जा सके. 

ईएफटीए समझौते पर नाराज किसान संगठन 
एसकेएम ने केंद्र सरकार द्वारा विकसित यूरोपीय देशों के तथा यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) समझौते पर हस्ताक्षर करने का विरोध किया. कहा गया कि यह समझौता मत्स्य पालन, डेयरी, बागवानी, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में छोटे उत्पादकों की ताकत को खत्म कर देगा, जिससे करोड़ों किसान और मजदूर परिवारों की आजीविका पर संकट आ जाएगा. कहा गया कि आसियान जैसे पहले के एफटीए ने रबर, काली मिर्च, नारियल आदि नकदी फसल के किसानों के जीवन को तबाह कर दिया था.