1984 नहीं भूल सकते सिख, सरकार ने मरहम की बजाय ज़ख्म कुरेदा- अकाल तख्त

1984 नहीं भूल सकते सिख, सरकार ने मरहम की बजाय ज़ख्म कुरेदा- अकाल तख्त

1984 सिख दंगे पर अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंगह ने कहा कि सिख उस ज़ख्म को नहीं भूल सकते. भारत सरकार चाहती है कि सिख 1984 भूल जाएं तो ये नहीं हो सकता. जत्थेदार ने कहा कि जिन्होंने ज़ख्म दिया उनसे क्या ही कहें लेकिन जो लोग बाद में सत्ता में आए वे भी मरहम लगाने की बजाय ज़ख्म को कुरेदते रहे. उन्होंने सिखों से एकजुट होने की अपील की.

जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने राजनेताओं से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हमें सियासतदानों से कोई उम्मीद नहीं है अब जो करना है वो खालसा पंथ खुद करेगा. हमारी ताकत बिखरी हुई है. आज जरूरत है कि सिख शक्तियों को इकट्ठा करें. मतभेदों से ऊपर उठकर एकजुट होना होगा. 1 से 8 जून तक ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी होती है. इसी मौके पर एक संबोधन में जत्थेदार ने कहा कि हमारी संस्थाएं शक्ति का स्त्रोत है.

ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सरकार पर सिखों की संस्थाएं हथियाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सिख शक्ति इकट्ठी हो गई तो हम सरकारों को भी झुका सकते हैं. 1984 का दुखांत हमें कमजोर नहीं बल्कि मजबूत करता है. सरकारें हमारी सिख शक्ति को बिखरा रही हैं हमें एकजुट होने की जरूरत है. इससे पहले सोमवार को पंजाब में कट्टरपंथी सिक संगठन दाल खालसा ने मार्च निकाला. उनके हाथों में खालिस्तानी झंडे, टूटी हुई अकाल तख्त की तस्वीरों के साथ तख्तियां देखी गई.

खालिस्तान समर्थक जरनैल सिंह भिंडरावाले को पकड़ने और स्वर्ण मंदिर में छिपे अन्य आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए जून 1984 में भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया था.