मानव-हाथी संघर्ष की जिम्मेदारी समाज की : राष्ट्रपति मुर्मू

मानव-हाथी संघर्ष की जिम्मेदारी समाज की : राष्ट्रपति मुर्मू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में गज उत्सव का उद्घाटन किया और कहा कि मानव-हाथी संघर्ष की जिम्मेदारी मानव समाज पर है।

इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा, "हमारी परंपरा में हाथियों का सबसे अधिक सम्मान किया गया है। इसे समृद्धि का प्रतीक माना गया है। यह भारत का राष्ट्रीय विरासत पशु है। इसलिए, हाथियों की रक्षा करना हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमारी राष्ट्रीय विरासत को संरक्षित करें।"

उन्होंने कहा, "मानव-हाथी संघर्ष सदियों से एक मुद्दा रहा है और जब हम इस संघर्ष का विश्लेषण करते हैं, तो यह पाया जाता है कि प्राकृतिक आवास या हाथियों की आवाजाही में उत्पन्न बाधा मूल कारण है। इसलिए, इस  संघर्ष की जिम्मेदारी मानव समाज के साथ बनती है।" 

उन्होंने जोर देकर कहा कि हाथियों की रक्षा, उनके प्राकृतिक आवासों का संरक्षण और हाथियों के गलियारों को बाधा से मुक्त रखना प्रोजेक्ट एलीफेंट का मुख्य उद्देश्य है। मानव-हाथी संघर्ष से संबंधित समस्याओं का समाधान भी इस परियोजना का उद्देश्य है।

राष्ट्रपति ने कहा कि असम के काजीरंगा और मानस राष्ट्रीय उद्यान न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व की अमूल्य धरोहर हैं। इसीलिए इन्हें यूनेस्को द्वारा 'विश्व विरासत स्थल' का दर्जा दिया गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि जो कार्य प्रकृति, पशु-पक्षियों के हित में हैं, वही मानवता और धरती माता के हित में भी हैं। हाथी अभ्यारण्य के जंगल और हरित क्षेत्र बहुत प्रभावी कार्बन सिंक हैं।