शीतकाल के लिए बंद हुए बदरीनाथ धाम के कपाट, चार धाम यात्रा का हुआ समापन

शीतकाल के लिए बंद हुए बदरीनाथ धाम के कपाट, चार धाम यात्रा का हुआ समापन
शीतकाल के लिए बंद हुए बदरीनाथ धाम के कपाट, चार धाम यात्रा का हुआ समापन

 गोपेश्वर: बदरीनाथ धाम के कपाट  शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। कपाट बंद होने की प्रक्रिया दोपहर डेढ़ बजे से शुरू हुई। इसके बाद दोपहर 3:35 बजे मंदिर के कपाट विधि विधान के साथ पूजा अर्चना के बाद बंद कर दिए गए। गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट पहले ही बंद हो गए हैं जिसके बाद आज इसके साथ ही चारधाम यात्रा का समापन भी हो गया। कपाट बंद होने के दौरान धाम में करीब पांच हजार श्रद्धालु मौजूद रहे। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के तहत लक्ष्मी मंदिर में कड़ाई भोग का आयोजन किया गया। इस भोग को लक्ष्मी माता को लगाया गया और प्रसाद स्वरूप श्रद्धालुओं को यह भोग बांटा गया।
कपाट बंद होने से पहले बदरीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वर प्रसाद नंबूदरी माता लक्ष्मी की मूर्ति को बदरीनाथ गर्भगृह में रखी और उद्धव व कुबेर की मूर्तियों को बदरीश पंचायत (गर्भगृह) से बाहर लाकर उत्सव डोली में रखकर पांडुकेश्वर के लिए रवाना किया। बता दें कि इस सीजन में अभी तक धाम में एक लाख 38 हजार श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। 
सीएम ने दी शुभकामनाएं
कपाट बंद होने के मौके पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कोरोना काल के बीच चारधाम यात्रा के सफल संचालन पर देश-विदेश के श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी। शुक्रवार को सुबह 9:30 बजे बदरीनाथ धाम से श्री उद्धव जी और कुबेर जी की डोली पांडुकेश्वर होते हुए नृसिंह मंदिर जोशीमठ में प्रस्थान करेगी। 21 नवंबर को डोली नृसिंह मंदिर जोशीमठ में विराजमान हो जाएगी।