अल्मोड़ा सीट पर बीजेपी की जीत का पर्याय रहे 'बचदा' का निधन, एम्स में ली अंतिम सांस

अल्मोड़ा सीट पर बीजेपी की जीत का पर्याय रहे 'बचदा' का निधन, एम्स में ली अंतिम सांस
अल्मोड़ा सीट पर बीजेपी की जीत का पर्याय रहे बचदा का निधन, एम्स में ली अंतिम सांस

ऋषिकेश: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और अल्मोड़ा से 4 बार सांसद रहे बची सिंह रावत का रविवार को एम्स ऋषिकेश में निधन हो गया वे 72 वर्ष के थे। कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उन्हें एम्स अस्पताल ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था जहां आज उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। बची सिंह रावत वाजपेयी मंत्रीमंडल में राज्यमंत्री भी रहे थे। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री बची सिंह रावत के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभु दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें, और शोकाकुल परिजनों को दुख सहने की शक्ति और धैर्य प्रदान करे। 

बची सिंह का जन्म 1 अगस्त 1949 को अल्मोड़ा जिले के रानीखेत के पास के पली गाँव में हुआ। उन्होंने अल्मोड़ा से अपनी स्कूली शिक्षा हासिल की। वहीं परस्नातक की पढाई उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से की, जहाँ से उन्हें विधि की उपाधि मिली। एम.ए. अर्थशास्त्र उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से पूरा किया।
बची सिंह रावत1992 में पहली बार वह उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गए। साल 1993 में दोबारा विधायक का चुनाव लड़ा और जीत के आये। अगस्त 1992 में 4 महीने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार में राजस्व मंत्री बनाये गए। 1996 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज हरीश रावत को हराकर सांसद बने और राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा। 1996-1997 तक संसद की कई कमिटी के सदस्य रहे। 1998 में दोबारा हरीश रावत को हराकर लोक सभा पहुंचे। 1998-99 तक फिर महत्वपूर्ण कमिटियों जैसे सूचना-प्रसारंण मंत्रालय के सलाहाकर रहे। 1999 में मध्यावधि में लोकसभा चुनाव हुए और तीसरी बार अल्मोड़ा से जीत दर्ज की। इस बार भी उन्होंने कांग्रेस के हरीश रावत को पराजित किया। 
साल 1999 में ही पहली बार केंद्र सरकार में रक्षा राज्य मंत्री का पद संभाला और फिर 1999-2004 तक निरंतर विज्ञान और तकनीकी केंद्रीय राज्यमंत्री रहे। 2004-2006 में फिर से लोक सभा सांसद बने। इस बार उन्होंने हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत को हराया। 2007 में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बने और 2009 तक इस पद पर बने रहे। उन्होंने उत्तराखंड में कभी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। साल 2009 में अल्मोड़ा सीट सुरक्षित होने के बाद लोकसभा चुनाव उन्होंने नैनीताल सीट से लड़ा था जहां कांग्रेस के केसी सिंह बाबा ने उन्हें हराया। 

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