इसरो के वैज्ञानिकों ने सरकार को सौंपी ऋषिगंगा हादसे की रिपोर्ट, ये बताई वजह

इसरो के वैज्ञानिकों ने सरकार को सौंपी ऋषिगंगा हादसे की रिपोर्ट, ये बताई वजह
इसरो के वैज्ञानिकों ने सरकार को सौंपी ऋषिगंगा हादसे की रिपोर्ट

देहरादून: उत्तराखंड के नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व के ऋषिगंगा कैचमेंट एरिया में रविवार को मची तबाही के कारण पर इसरो ने राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है। आपदा की इस घटना को लेकर वैज्ञानिकों के अलग -अलग राय को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग ने कई विशेषज्ञों से संपर्क कर कारणों का आंकलन करना शुरू कर दिया है। वाडिया भू विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस तबाही का कारण एवलांच की वजह से बनी झील का टूटना बताया है। 
इसरो के वैज्ञानिकों ने उस क्षेत्र में किसी झील के बनने से इंकार किया है। भारतीय सुदूर संवेदन सस्थान (रिमोट सेसिंग) के निदेशक डॉ प्रकाश चौहान ने भी आपदा प्रबंधन विभाग को यह रिपोर्ट सौंपी है। आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से मुख्य सचिव ओमप्रकाश को यह रिपोर्ट दी गई है। सूत्रों ने बताया कि संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में आपदा का कारण एवलांच को माना है।  रिपोर्ट में कहा गया है कि 14 स्क्वायर किमी एरिया का एक हिमस्खलन हुआ जो दो किमी के करीब ऊंचाई से गिरा और उसने असीमित ऊर्जा पैदा कर दी। इसी वजह से ऋषिगंगा में बाढ़ आ गई और रैणी व तपोवन में आपदा की स्थिति पैदा हो गई।
बुधवार को आपदा प्रबंधन विभाग के अफसरों की बैठक में सभी रिपोर्ट पर चर्चा भी की गई। विभाग ने कुछ विदेशी प्राइवेट सेटेलाइट से भी उपग्रह चित्र लिए हैं जिनमें भी आपदा का कारण एवलांच को माना गया है। हालांकि, वाडिया से हाल ही में रिटायर हुए ग्लेशियर वैज्ञानिक डॉ डीपी डोभाल और उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक प्रो एमपीएस बिष्ट ने घटना के लिए हैंगिंग ग्लेशियर टूटने के बाद बनी झील को कारण माना है। ऐसे में अब सरकार आपदा के कारणों को लेकर उलझन में पड़ गई है।


डॉ डीपी डोभाल से ली गई राय
आपदा प्रबंधन विभाग के सूत्रों ने बताया कि इस संदर्भ में मिली सभी रिपोर्ट का अध्ययन कर आंकलन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में विशेषज्ञों से भी राय जी जा रही है ताकि किसी अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके। बुधवार को इस संदर्भ में ग्लेशियर के क्षेत्र में लम्बे समय से काम करने वाले वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ डीपी डोभाल को भी बुलाया गयाऔर उनसे भी राय ली गई।