निजी खुन्नस भी बड़ी वजह है लोहाघाट विधायक की बगावत के पीछे!

निजी खुन्नस भी बड़ी वजह है लोहाघाट विधायक की बगावत के पीछे!
निजी खुन्नस भी बड़ी वजह है लोहाघाट विधायक की बगावत के पीछे!

देहरादून (डंकाराम ब्यूरो): भारतीय जनता पार्टी (BJP) से लोहाघाट के विधायक पूरन सिंह फर्त्याल लगातार टनकपुर-जौलजीवी रोड को लेकर अपनी ही पार्टी से बगावत का झंडा बुलंद किए हुए हैं। बगावत भी मामूली नहीं बल्कि अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ हालिया विधानसभा सत्र में नियम 58 के तहत कार्य स्थगन का प्रस्ताव भी दे डाला, जो स्वीकार नहीं हुआ। चूंकि मामला अब सिर से ऊपर जा चुका है इसलिए अब पार्टी संगठन ने उनको अनुशासनहीनता का नोटिस जारी कर दिया है। जिसका जवाब विधायक ने दे दिया है। आगामी 4 अक्टूबर को पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में लोहाघाट विधायक की किस्मत का फैसला पार्टी कर देगी।

क्यों बागी हुए हैं विधायक फर्त्याल?

विधायक पूरन सिंह का आरोप है कि सामरिक महत्व की टनकपुर-जौलजीवी सड़क परियोजना में के चूका से रूपालीगाड़ तक के 24.40 किमी के 123 करोड़ रुपये के पैकेज को पाने में ठेकेदार दिलीप सिंह अधिकारी ने फर्जी प्रमाणपत्र लगाए गए हैं। विधायक का दावा है कि फर्जी प्रमाणपत्र के बावजूद निविदा देने और ठेकेदार को बचाने में कुछ आला अधिकारियों की भूमिका है। विधायक के आरोपों जांच भी हुई थी। लेकिन आर्बिटेशन ने इस साल जून में ठेकेदार दिलीप सिंह अधिकारी के पक्ष में फैसला सुनाया था। जिसके बाद उनको पुन: यह ठेका मिल गया। लेकिन विधायक अब भी अपनी बात पर अड़े हैं और इसी कारण उन्होंने विधानसभा में यह मामला उठाया।

2017 से बंद है सड़क का काम

भारत-नेपाल सीमा पर आधारभूत ढांचे को बेहतर करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2015 में 135 किमी लंबे टनकपुर-जौलजीवी रोड मार्ग को मंजूरी दी थी। लेकिन प्रस्तावित पंचेश्वर बांध के डूब क्षेत्र की स्थिति साफ  नहीं होने से रोड को जौलजीबी के बजाय ठुलीगाड़ से रूपालीगाड़ (42.275 किमी) तक ही मंजूर किया गया। ठुलीगाड़ से चूका तक 17.875 किमी के पहले पैकेज में ही रोड कटिंग व डामर का काम पूरा हो गया। मगर चूका से रूपालीगाड़ तक का 24.40 किमी का 123 करोड़ रुपये की लागत के दूसरा पैकेज की निविदा में गड़बड़ी के आरोपों के चलते 25 अगस्त 2017 से काम बंद है। सड़क निर्माण का मकसद सुरक्षा चौकसी को पुख्ता करने और एसएसबी की बीओपी (बॉर्डर आउटपोस्ट) तक आधारभूत ढांचे को बेहतर करना है।

विरोध के पीछे पुरानी दुश्मनी भी है वजह !

लोहाघाट के विधायक का कहना है कि वह इस मामले में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं लेकिन यह पूरा सच नहीं है। इस मामले का एक और पहलू है जिसे नजरअंदाज कर कहानी की पूरी तस्वीर स्पष्ट नहीं हो सकती। दरअसल टनकपुर-जौलजीवी रोड के ठेके को लेकर  विधायक पूरन सिंह फर्त्याल  जिस ठेकेदार दिलीप सिंह अधिकारी के पीछे पड़े हैं वह कभी उसी ठेकेदार के सब कान्ट्रेक्टर रहे हैं। हालांकि तब वह विधायक नहीं थे। दिलीप सिंह अधिकारी भी लोहाघाट के ही रहने वाले हैं और उत्तराखंड के बड़े ठेकेदारों में उनकी गिनती होती है। 

दोस्ती ऐसे बदली दुश्मनी में

पूरन सिंह और दिलीप सिंह के बीच में अदावत के पीछे सियासत बड़ी वजह है। दरअसल दिलीप सिंह अधिकारी के छोटे भाई खुशाल सिंह अधिकारी ने जब राजनीति में कदम रखा तो और पहले ब्लॉक प्रमुख और फिर 2013 में चंपावत जिला पंचायत अध्यक्ष भी बन गए। यहीं से इस अदावत की सिलसिली शुरु हो गया। दरअसल तब तक सियासी हलकों में दिलीप सिंह अधिकारी को पूरन सिंह का फाइनेंसर भी कहा जाता था। 2013 के जिला पंचायत के चुनाव में दिलीप सिंह के भाई खुशाल सिंह विधायक पूरन सिंह की पत्नी को हराकर ही जिला पंचायत अध्यक्ष बने थे। उस दौरान दोनों में मुकदमेबाजी भी हुई। अदावत यहां तक बढ़ गई कि बाद के दिनों में एक बार कलक्ट्रेट में विधायक पूरन सिंह और तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष खुशाल सिंह के बीच भरी सभा में हाथापाई भी हो गई। उन दिनों सूबे में कांग्रेस की सरकार थी लिहाजा पूरन सिंह को जेल की हवा भी खानी पड़ी। 2017 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर दोनों आमने-सामने आ गए जबकि कांग्रेस ने लोहाघाट से खुशाल सिंह को टिकट दिया जबकि भाजपा से पूरन सिंह मैदान में थे। 2012 में 10 हजार से अधिक वोटों से जीतने वाले खुशाल सिंह ने इस बार पूरन सिंह को नाकों चने चबवा दिए और वह मात्र कुछ सौ वोटों से ही जीत सके वह भी एक बूथ में दोबारा वोटिंग होने के बावजूद। जबकि इस दौरान प्रदेश विधासभा के चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और भाजपा को 57 सीटों के साथ प्रदेश में प्रचंड बहुमत मिला था।

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई है तो विधायक निधि की सड़कों हाल खराब क्यों?

लोहाघाट के विधायक के भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते  समरिक महत्व की जिस  टनकपुर-जौलजीवी सड़क का काम तीन साल से अधिक समय से रुका वहीं उनके विधानसभा क्षेत्र में विधायक निधि से बनी कई सड़कों के हाल देखे जाएं तो उनकी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जाहिर हो जाती है। लाखों के बजट वाली इन सड़कों को जेसीबी से काटा जाता है जो कि 600-700 रुपये घंटे के हिसाब से मिलती हैं। सूत्रों के मुताबिक इन जेसीबी के मालिक भी विधायक के करीबी होते हैं। कहा तो यह भी जाता है कि विधायक निधि से बनी सड़कों में नियम कानूनों का भी प्राय: पालन नहीं किया जा रहा है। ऐसी अनगिनत सड़कें लोहाघाट विधानसभा में बनी बताई जा रही हैं। हालांकि सरकार जांच कराए तो असलियत सामने आ सकेगी।

 विकास में लगाया अडंगा ?

टनकपुर-जौलजीबी रोड के तहत चूका से रूपालीगाड़ तक बनने वाली इस सड़क से चंपावत जिले के सबसे दुर्गम और पिछड़े क्षेत्रों में शामिल तल्लादेश तामली के लिए एक नए युग का शुरुआत होती। फल, सब्जी और खेती-किसानी और पर्यटन से भरपूर इस क्षेत्र की कायापलट ही हो जाती क्योंकि इस सड़क के बनने से तल्लादेश की टनकपुर मंडी से सड़क मार्ग की दूरी 35-40 किमी से भी कम यानी एक घंटे की दूरी भर रह जाती जो कि अभी लगभग 120 किमी है। इससे न केवल इस क्षेत्र की आर्थिकी में क्रांतिकारी परिवर्तन आता बल्कि पर्यटन के लिए बेहद मुफीद नए स्थानों का विकास होता। बता दें कि प्रख्यात शिकारी जिम कार्बेट ने जो पहला आदमखोर मारा था वह इसी चूका क्षेत्र में मारा था। इसका उल्लेख उन्होंने अपने संस्मरणों में किया है। इस लिहाज से यह क्षेत्र अंतराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रुप में विकसित होने की क्षमता ऱखता है। इसके अलावा इस महाकाली नदी के किनारे-किनारे बनने वाली इस सड़क से नेपाल सीमा पर एसएसबी की पेट्रोलिंग भी सुगम हो जाती जो कि सामरिक दृष्टि से सुरक्षाबलों को मदद करतीं। वर्तमान में चीन से टकराव होने की वजह से इस सड़क का सामरिक महत् और भी बढ़ जाता है।

पलायन को रोकने में होती कारगर

उत्तराखंड सरकार लगातार रिवर्स पलायन पर जोर दे रही है। आवागमन के साधनों के अभाव में चंपावत के बेहद उपजाऊ क्षेत्रों में शामिल तल्लादेश-तामली के अधिकाँश परिवार टनकपुर और चंपावत को पलायन कर रहे हैं। इस सड़क के बनवने से वह सब लोग अपने गावों को लौट सकेंगे क्योंकि चंपावत से भी कहीं कम समय में ये लोग टनकपुर पहुंच सकते हैं और वहां से सीधे आवागमन कर सकते हैं। लेकिन यह सब तब होता जब  निजी खुन्नस और राजनीतिक विद्वेष के बजाए विकास को प्राथमिकता दी जाती। राजनीतिक द्वेष पर दुर्गम क्षेत्र की जनता का कष्ट दूर करने की मंशा रखी जाती। यह हमारे क्षेत्र की जनता का दुर्भाग्य है कि उनके हक के विकास को अक्सर राजनीतिक द्वेष और रंजिश का शिकार बनना पड़ता है।

देर आयद दुरस्त आयद

आखिरकार देर से ही सही तल्लादेश-तामली की जनता के हित में यह सड़क बनने जा रही है। लोहाघाट के विधायक को आर्ब्रिटेशन से कोई राहत नहीं मिली है और ऐसा लगता है कि उत्तराखंड सरकार अब इस सड़क को बनाने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ है और शीघ्र ही इस सड़क के रुके हुए काम के शुरु होने और इस क्षेत्र में नए सूर्योदय की संभावना प्रबल है।