लॉकडाउन में नौकरी छूटी तो मशरुम बना इन दो युवाओं का सहारा, अब कर रहे अच्छी कमाई

लॉकडाउन में नौकरी छूटी तो मशरुम बना इन दो युवाओं का सहारा, अब कर रहे अच्छी कमाई
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रामनगर: स्वरोजगार अपनाने वालों के लिए मशरूम की खेती काफी मुफीद साबित हो रही है। मशरुम गर्ल दिव्या रावत से तो सारी दुनिया ही परिचित है। अब तो उत्तराखंड में इससे रोजगार कमाने वाले तमान उदाहरण दिख जाएंगे। ऐसा ही उदाहरण रामनगर में भी दिखाई दे रहा है। लाकडाउन में नौकरी छूटी तो क्षेत्र के  दो युवाओं ने स्वरोजगार को आय का जरिया बनाने की ठानी। इसके लिए उन्होंने मशरूम उत्पादन में हाथ आजमाया। वो दोनों इन दिनों ओएस्टर प्रजाति का मशरूम उगाकर कर अपनी ठीक-ठाक कमाई कर रहे हैं।  मशरूम खेती कम लागत पर अच्छा मुनाफा दे रही है। कभी दिल्ली में एक प्राइवेट जॉब करने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत लॉकडाउन के समय दिल्ली से रामनगर अपने घर आ गए थे। उन्होंने लाकडाउन में दिल्ली न जाकर घर मे ही स्वरोजगार अपनाने का निश्चय किया। उन्होंने हेसको संस्था की मदद से ओएस्टर मशरूम उगाने का प्रशिक्षण लिया। वह अब अपने घर के हॉल में ही ओएस्टर मशरूम को उगा रहे हैं। रावत ने बताया कि स्वरोजगार  से उत्तराखंड से पलायन भी रुकेगा।  उन्होंने कहा कि ओएस्टर मशरूम 22 दिन में उग जाता है।
वहीं रामनगर में फोटोग्राफी का काम करने वाले सुबोध चमोली लाकडाउन की वजह से बेरोजगार हो गए। उन्होंने भी स्वरोजगार से जुड़ने के लिए हेसको की मदद से ओएस्टर मशरूम उगाने का प्रशिक्षण लिया। सुबोध अब घर में ही ओएस्टर मशरूम उगाकर अच्छी आय कमा रहे हैं। इस काम में उनके परिवार के लोग भी इस रोजगार से जुड़े हैं। सुबोध बताते है कि मशरूम 180 से 200 रुपये किलो बिक रहा है। ओएस्टर मशरूम 22 दिन में उगकर तैयार हो जाता है। रोजाना 5 से 8 किलो मशरूम बेचा जा रहा है।