भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड घोटाले की जांच के सीएम ने दिए आदेश

भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड घोटाले की जांच के सीएम ने दिए आदेश

देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में द्वारा उत्तरकाशी एवं पिथौरागढ़ जिलों के अन्तर्गत भेड़ एवं बकरियों के पशुआहार क्रय में वित्तीय अनियमितताएं सम्बन्धित शिकायत को गम्भीरता से लेते हुए उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार मुख्य सचिव ओम प्रकाश द्वारा कृषि उत्पादन आयुक्त, मनीषा पंवार की अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया गया है। जांच समिति में अपर सचिव वित्त भूपेश तिवारी सदस्य होंगे। मुख्य सचिव ने जांच समिति से प्राप्त शिकायत पर 15 दिनों के भीतर अपनी जांच आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं।
क्या है मामला?
पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा सांसद मेनका गांधी ने इस मामले में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र भेज बोर्ड के सीईओ डॉ अविनाश आनंद पर गंभीर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाने के साथ ही पशुपालन विभाग के सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम की भूमिका को भी कठघरे में खड़ा किया गया है। साथ ही कहा गया है कि सीबीसीआइडी, सीबीआइ और ईडी की जांच के लिहाज से यह प्रकरण एकदम सही है। पत्र में यह सुझाव भी दिया गया है कि विश्व बैंक से ऋण के रूप में मिली तीन हजार करोड़ की राशि से चल रही भेड़ एवं ऊन विकास योजना को तत्काल बंद कर दिया जाना चाहिए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सांसद गांधी ने पत्र की प्रति प्रधानमंत्री को भी भेजी है।
इससे पहले पीपुल फॉर एनिमल्स की ट्रस्टी गौरी मौलेखी ने आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना के आधार पर उत्तराखंड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में भेड़, चारा व वाहन खरीद में भारी धांधली और वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया था। उन्होंने प्रकरण की जांच की मांग को लेकर मुख्य सचिव को पत्र भेजा था। अब पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद मेनका गांधी ने भी मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मोर्चा खोला है। सांसद मेनका गांधी ने पत्र में बोर्ड के सीईओ पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। पत्र के अनुसार बोर्ड के सीईओ ने 13 लाख रुपये प्रति लक्जरी कार के हिसाब से कई कार खरीदने के साथ ही नोएडा में घर खरीदा है।
यह भी आरोप लगाया गया है कि जिला बजट से चारा खरीद में भारी अनियमितता बरती गई। चारे की खरीद तय दरों से कहीं अधिक दरों पर की गई। पत्र में कहा गया है कि बोर्ड में कुछ लोग बगैर पद सृजन के प्रतिनियुक्ति पर रखे गए हैं। यही नहीं, ढाई लाख रुपये प्रतिमाह के वेतन पर बोर्ड में कंसल्टेंट रखा गया है, यह वेतन कंसल्टेंट के तय वेतन से कहीं अधिक है। इसकी स्वीकृति भी नहीं ली गई है।
पत्र में आस्ट्रेलिया से मंगाई गई भेड़ों को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। कहा गया है कि वहां से उम्रदराज भेड़ों को यहां लाया गया। इसकी जांच किसी भी पशुचिकित्सक से कराई जा सकती है। पत्र में कहा गया है कि बोर्ड में बड़ी वित्तीय अनियमितता की गई है। लिहाजा, इसकी जांच कराई जानी आवश्यक है।