उत्तराखंड:लॉकडाउन में नौकरी गई तो छापने लगे नकली नोट

उत्तराखंड:लॉकडाउन में नौकरी गई तो छापने लगे नकली नोट
उत्तराखंड:लॉकडाउन में नौकरी गई तो छापने लगे नकली नोट

लक्सर: हरिद्वार पुलिस ने नकली नोट छापने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के दो गुर्गों को गिरफ्तार किया गया है। जबकि गिरोह का मास्टरमाइंट फरार है। गिरफ्तार अभियुक्तों के पास से दो सौ रुपये के 227 नकली नोट और 102 आधे छपे नोट मिले हैं। इसके अलावा पुलिस ने कंप्यूटर और प्रिंटर भी मौके से बरामद किया है। पुलिस आरोपित की तलाश में जुटी है। वहीं, हरिद्वार से आइबी की टीम ने भी लक्सर कोतवाली पहुंचकर मामले की जानकारी ली। आइबी की टीम ने आरोपितों से भी पूछताछ की है।
शुक्रवार को लक्सर कोतवाली में पत्रकारों से बातचीत में एसपी देहात प्रमेंद्र डोभाल ने बताया कि पुलिस को कंप्यूटर से नकली नोट छापने और इसे बड़ी मात्रा में लक्सर और अन्य राज्यों में भेजने वाले गिरोह के सक्रिय होने की जानकारी मिली थी। इसके बाद से पुलिस गिरोह के सदस्यों की तलाश में जुटी थी। पुलिस को गिरोह के दो सदस्यों के जसोदरपुर गांव की पुलिया के पास आने की सूचना मिली थी। सूचना पर पुलिस टीम ने घेराबंदी कर दो युवकों को पकड़ा, जिनके पास से कुछ नकली नोट बरामद किए गए।
 कोतवाली लाकर पूछताछ में आरोपितों ने अपना नाम शोएब निवासी सलेमपुर दादूपुर कोतवाली रानीपुर और अफजाल निवासी मुस्तफाबाद थाना पथरी बताया। उन्होंने अपने साथी शारिक निवासी महमूद नगर, मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश के साथ मिलकर सलेमपुर कोतवाली रानीपुर में कंप्यूटर से नकली नोट बनाने की बात स्वीकार की। इसके बाद पुलिस ने उनके साथ सलेमपुर में एक किराये के मकान में छापा मारा, लेकिन तब तक गिरोह का मास्टरमाइंड शारिक मौके से फरार हो गया था।
पुलिस ने कमरे से 200 रुपये के 227 नोट बरामद किए। साथ ही, सौ और दो सौ रुपये वाले 102 अधछपे नोट, कंप्यूटर, प्रिटर, ए-4 साइज के कागज, कटर, पेपर ट्रिमर आदि भी बरामद किए। सीओ विवेक कुमार ने बताया कि गिरोह के मास्टरमाइंड शारिक की तलाश में उसके ठिकानों पर छापे मारे जा रहे हैं। गिरफ्तार आरोपितों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया है। पुलिस टीम में कोतवाल प्रदीप चैहान, एसएसआइ नितेश शर्मा, सुल्तानपुर चौकी प्रभारी धर्मेंद्र राठी, एसआइ यशवीर सिंह नेगी, कांस्टेबल संजय, अब्बल, सतेंद्र, सुनील, बलबीर, शहजाद, दिनेश कुमार, मनोज मलिक शामिल रहे। 
लॉकडाउन के बाद मुंबई से लक्सर आ गया था शारिक
नकली नोट बनाने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड शारिक मुंबई में पीओपी का काम करता था। जबकि शोएब मुंबई के एक रेस्टोरेंट में वेटर की नौकरी करता था। इस दौरान दोनों की मुंबई में पहचान हो गई थी। एक ही इलाके का होने के कारण उनके बीच दोस्ती हो गई। इसी दौरान शारिक ने उसे बताया कि वह नकली नोट बनाना जानता है। लॉकडाउन में दोनों की नौकरी चली गई तो वह लक्सर लौट आए। यहां दोनों ने नकली नोट छापकर पैसे बनाने की योजना बनाई। इसके बाद उन्होंने अफजाल को भी अपने साथ मिला लिया। 
कोतवाल प्रदीप चैहान ने बताया कि अफजाल ने ही शारिक को सलेमपुर में किराए का कमरा दिलाया था। जहां शारिक कंप्यूटर से ए-4 साइज पेपर पर स्कैन करके नकली नोट बनाता था। दोनों तरफ से नोट को प्रिट करने के बाद उन्हें आपस में जोड़ दिया जाता था। शारिक नोट छापता था, जबकि अफजाल व शोएब इन्हें चलाने के अलावा बाहर से नकली नोट खरीदने वाली पार्टी लेकर आता था। सुल्तानपुर चौकी प्रभारी धर्मेंद्र राठी ने बताया कि आरोपित असली रकम लेकर उसके दोगुने नकली नोट देते थे। उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश और मुंबई तक आरोपित बड़े पैमाने पर नकली नोट चला चुके थे। शारिक इससे पहले भी जेल जा चुका है। साथ ही, आरोपितों ने किन व्यक्तियों को नोट दिए और किन-किन व्यक्तियों के संपर्क में रहे हैं, इसकी भी जानकारी जुटाई जा रही है।