यूपी में 'अपनों' के बेगानों वाले हमले, सपा और कांग्रेस में ठनी, तो अब बसपा ने भी दिया झटका

यूपी में 'अपनों' के बेगानों वाले हमले, सपा और कांग्रेस में ठनी, तो अब बसपा ने भी दिया झटका

देश में साल 2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक हैं. इसमें बीजेपी को हराने के लिए विपक्षी दलों ने एकजुट होकर संघर्ष करने का ऐलान किया था. हालांकि सेमीफाइल माने जा रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में दलों के गठबंधन इंडिया में फूट पड़ गई है. एमपी में अखिलेश तो उधर बसपा सुप्रीमों मायावती ने भी कांग्रेस के खिलाफ आक्रामक अंदाज़ दिखाया है।

लोकसभा चुनाव 2024 में कुछ ही महीनों का वक्त बाकी रह गया है. उधर हाल ही में विपक्ष ने एकजुट होकर लोकसभा चुनाव 2024 में संघर्ष करने का ऐलान किया था. लेकिन विधानसभा चुनावों में ही दलों गठबंधन में दरार आ गई. खासकर एमपी में सपा-कांग्रेस की नाराजगी यूपी तक प्रभाव डाल रही है. उधर, बसपा को विपक्षी गठबंधन में शामिल करने वाले रणनीतिकारों को भी पार्टी चीफ मायावती का आक्रामक अंदाज देखकर धक्का लगा है।

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव विपक्षी दलों में कलह का अड्डा बन गया है. प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की रणनीति ने सहयोगी दल के नेता अखिलेश और नीतीश कुमार दोनों को झटका दे दिया. आखिर में एमपी में अखिलेश और नीतीश कुमार की पार्टी ने अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं. आम आदमी पार्टी भी चुनावी मैदान में है. ये पार्टियां भाजपा के लिए कम कांग्रेस के लिए ज्यादा मुसीबत बन रही हैं. खासकर सपा मुखिया अखिलेश यादव लगातार एमपी की चुनावी सभाओं में कांग्रेस पर हमला कर रहे हैं. उसे धोखेबाज पार्टी करार देकर जनता से वोट न देने की अपील कर रहे हैं।

कांग्रेस के रणनीतिकार यूपी में प्लान-बी पर काम कर रहे हैं. पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि 2024 के चुनाव के लिहाज से सपा से बेहतर बसपा का गठबधंन रहेगा. लिहाजा, पार्टी सपा की परवाह किए बगैर यूपी में अपने संगठन को धार देने में जुट गई. उसने सपा के नेताओं को ही कांग्रेस में सदस्यता देने का क्रम जारी कर दिया है. वहीं एमपी चुनावी सभा में गई बसपा प्रमुख मायावती ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने पिछड़ों को अधिकारों से वंचित रखने के लिए कांग्रेस को ही दोषी ठहराया. साथ ही कहा कि अंग्रेजों के जाने के बाद सबसे ज्यादा वक्त तक कांग्रेस ही सत्ता में रही, लेकिन सत्ता में रहते उसे जातिगत जनगणना याद नहीं आई. अब सत्ता में आने के लिए उसे फिर से दलित-पिछड़े याद आ रहे हैं. बसपा चीफ का यह आक्रामक अंदाज देखकर कांग्रेस के रणनीतिकारों को भी धक्का लगा है.।