रेड क्रॉस सोसाइटी द्वारा हिरोशिमा-नागासाकी हमले की याद में रखा गया मौन

रेड क्रॉस सोसाइटी द्वारा हिरोशिमा-नागासाकी हमले की याद में रखा गया मौन

रेड क्रॉस नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र ने 'हिरोशिमा और नागासाकी दिवस' मनाया। अध्यक्षता परियोजना निदेशक चमन सिंह ने की। अपने विचार साझा करते हुए उन्होंने कहा कि 6 और 9 अगस्त 1945 को संयुक्त राज्य अमेरिका ने क्रमशः जापानी शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर दो परमाणु बम विस्फोट किए। हवाई बमबारी में कुल मिलाकर 2.2 लाख से अधिक लोग मारे गए, जिनमें से अधिकांश नागरिक थे। नागासाकी पर बमबारी के छह दिन बाद 15 अगस्त को जापान ने मित्र राष्ट्रों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

ये दोनों घटनाएँ आज भी याद आती हैं और परमाणु हथियारों के विनाशकारी प्रभावों की सबसे बड़ी चेतावनी के रूप में काम करती हैं। कोई भी राजनीतिक परिस्थितियाँ उनके उपयोग को उचित नहीं ठहरा सकतीं। और निःसंदेह, आज के परमाणु बम जापान पर इस्तेमाल किए गए बमों से कई गुना अधिक शक्तिशाली हैं। परमाणु हथियारों के आकस्मिक या जानबूझकर उपयोग का जोखिम महत्वपूर्ण बना हुआ है।

  किसी भी राज्य या अंतर्राष्ट्रीय संगठन के पास परमाणु हथियार विस्फोट के मामले में आवश्यक अल्पकालिक और दीर्घकालिक मानवीय सहायता और सुरक्षा को संबोधित करने या प्रदान करने की क्षमता नहीं है।

आइए याद रखें कि एक परमाणु बम क्या कर सकता है और यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिज्ञा करें कि किसी अन्य शहर को समान दर्द और तबाही का सामना न करना पड़े।

इस मौके पर कुलवंत सिंह, कमलजीत कौर, हरप्रीत कौर, कमला रानी, दिनेश कुमार व मरीज मौजूद थे।