हरियाणा में बीजेपी को झटका...कांग्रेस की बल्ले-बल्ले ? तीन आज़ाद विधायकों ने BJP से समर्थन वापस लिया कांग्रेस को दिया, आखिर क्यों ऐसा किया ? पढ़िए पूरी ख़बर

हरियाणा में बीजेपी को झटका...कांग्रेस की बल्ले-बल्ले ? तीन आज़ाद विधायकों ने BJP से समर्थन वापस लिया कांग्रेस को दिया, आखिर क्यों ऐसा किया ? पढ़िए पूरी ख़बर

हरियाणा की नायब सरकार को बड़ा झटका लगा है। बीजेपी सरकार को अब तक अपना समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों में से चार ने नायब सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। इन तीन आज़ाद विधायकों ने रोहतक में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान, पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और रोहतक से विधायक बीबी बत्रा के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन विधायकों ने अपनी बात रखी।

विधायकों से जब ये सवाल किया गया कि उन्होंने समर्थन वापस क्यों लिया तो इस पर नीलोखेड़ी विधायक धर्मपाल गोंदर ने कहा कि हमने लोटे में नमक डालकर ये कहा था कि जब तक मनोहर लाल की सरकार रहेगी हम समर्थन देंगे, लेकिन जब हमारा सेनापति ही चला गया तो हमें इस बात का दुख हुआ। हमने किसानों का हित देखते हुए ये निर्णय लिया है।

आपको बता दें कि दादरी से सोमबीर सांगवान, पुंडरी से विधायक रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी विधायक धर्मपाल गोंदर ने नायब सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस को बाहर से समर्थन दिया है। हालांकि चर्चा ये भी थी कि बादशाहपुर के विधायक राकेश दौलताबाद भी इन विधायकों के साथ होंगे। लेकिन वो यहां नहीं पहुंचे। इस बारे में जब सोमबीर सांगवान से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये हम चारों का फैसला था और राकेश दौलताबाद किसी कारण से यहां नहीं पहुंच पाए।

वहीं हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान ने कहा कि आज की तारीख में सभी सत्ता की तरफ जाते हैं सत्ता में बीजेपी बैठी है। लेकिन आज़ाद विधायकों ने संघर्ष का रास्ता चुना। उन्होंने कहा कि आज नायब सैनी की सरकार अल्पमत की सरकार है। जेजेपी का उन्हें समर्थन है नहीं और आजाद विधायकों ने भी उनसे समर्थन वापस ले लिया है इसलिए मैं समझता हूं कि अब उन्हें एक क्षण भी सरकार में रहने का अधिकार नहीं है। अब विधानसभा के चुनाव भी साथ-साथ करवाने चाहिए।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आज़ाद विधायकों का फैसला ठीक समय पर ठीक फैसला है। इन विधायकों का बहुत-बहुत स्वागत है।

बहरहाल निर्दलीय विधायकों की ओर से बीजेपी सरकार को जाहिर तौर पर ये बड़ा झटका होगा और वो भी बीच चुनाव में... ऐसे में अब ये देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि बीजेपी इस सियासी संकट से कैसे पार पाती है। लेकिन सवाल ये भी है कि जब नायब सैनी सरकार बनी थी तब ये विधायक पूरी तरह से सरकार के साथ थे। उस वक्त ये उम्मीद जताई जा रही थी कि नायब मंत्रिमंडल में इन निर्दलीय विधायकों को मंत्री पद से नवाजा जाएगा। लेकिन रणजीत सिंह जो पहले भी मंत्री थे उन्हें ही दोबारा मंत्री बनाया गया बाकी किसी निर्दलीय विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया। इसके बाद सियासी हलकों में ये ख़बर गूंजी कि निर्दलीय विधायकों को विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में शामिल कर विधायकी का टिकट देने पर सहमति बनी है। जिसके बाद निर्दलीय विधायकों ने सरकार को समर्थन दिया है। अब अगर ये थियोरी सही है तो फिर सवाल ये बनता है कि क्या अब इन विधायकों को टिकट मिलने के आसार नहीं लग रहे थे। या फिर हरियाणा में विधायकों को कांग्रेस की ओर माहौल बनता दिखा..जिसकी वजह से वो कांग्रेस को फिलहाल बाहर से समर्थन देकर और बाद में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़के दोबारा विधानसभा में पहुंचना चाहते हों। इन तीन निर्दलीय विधायकों के कांग्रेस को समर्थन देने के बाद ये सवाल सियासी हवा में तैर रहे हैं और इनका जवाब आने वाले वक्त में जरूर मिल जाएगा बस उस वक्त का थोड़ा इंतजार कीजिए।