विवाद जारी है ! लेकिन एसजीपीसी, मस्तुआना साहिब ट्रस्ट सरकारी मेडिकल कॉलेज के लिए अलग से जमीन देने को राजी

विवाद जारी है !  लेकिन एसजीपीसी, मस्तुआना साहिब ट्रस्ट सरकारी मेडिकल कॉलेज के लिए अलग से जमीन देने को राजी

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) और संत अत्तर सिंह गुरसागर मस्तुआना साहिब ट्रस्ट के अधिकारी, दोनों सरकारी मेडिकल कॉलेज के निर्माण के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में लंबित मुकदमे से 25 एकड़ जमीन को बाहर करने के लिए आवश्यक कदम उठाने पर सहमत हुए हैं। 

इस संबंध में एसजीपीसी, ट्रस्ट, गुरुद्वारा अंगीठा साहिब प्रबंधक कमेटी के सदस्यों और क्षेत्र के निवासियों द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसे मंगलवार सुबह संगरूर के उपायुक्त (डीसी) जितेंद्र जोरवाल को सौंपा गया।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पिछले साल 5 अगस्त को जीएमसी का शिलान्यास किया था। जमीन के मालिकाना हक को लेकर एसजीपीसी और ट्रस्ट के बीच हाईकोर्ट में मामला लंबित है, तब से अब तक एक भी ईंट नहीं रखी गई है। जिस भूमि पर सरकार जीएमसी का निर्माण करना चाहती है, वह गुरुद्वारा सचखंड अंगीठा साहिब के नाम से पंजीकृत है और ट्रस्ट द्वारा प्रबंधित की जाती है।

एसजीपीसी के प्रवक्ता ने कहा, “हमने मस्तुआना साहिब में जीएमसी के निर्माण का कभी विरोध नहीं किया। एसजीपीसी सिर्फ इतना चाहती है कि इसका निर्माण कानून के मुताबिक हो। हम जीएमसी के लिए 25 एकड़ को मुकदमेबाजी से बाहर करने के लिए कानूनी विशेषज्ञों की मदद से आवश्यक कदम उठाने पर सहमत हुए हैं। लेकिन दूसरी जमीन के लिए ट्रस्ट के साथ हमारी कानूनी लड़ाई जारी रहेगी।'

संगरूर डीसी जोरवाल ने कहा कि वह मस्तुआना साहिब में जीएमसी के निर्माण के लिए आवश्यक कार्रवाई के लिए पंजाब सरकार को एक नई रिपोर्ट भेजेंगे। डीसी ने कहा, "एसजीपीसी और ट्रस्ट 25 एकड़ को मुकदमेबाजी से बाहर करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने पर सहमत हुए हैं।"

4 सितंबर, 1964 को तत्कालीन सरकार ने अधिसूचना जारी कर गुरुद्वारे की संपत्ति को एसजीपीसी के नियंत्रण में लाने की घोषणा की थी। ट्रस्ट की याचिका पर लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, एचसी ने 28 मई, 1987 को इस मामले पर रोक लगा दी और एसजीपीसी को गुरुद्वारे की संपत्ति पर नियंत्रण नहीं करने का निर्देश दिया। मामला अभी हाईकोर्ट में लंबित है।