बलूनी के 'हरद्वारी लाल' बायान पर बढ़ा बवाल, हरिद्वार मेयर ने बताया अपमान

बलूनी के 'हरद्वारी लाल' बायान पर बढ़ा बवाल, हरिद्वार मेयर ने बताया अपमान
बलूनी के 'हरद्वारी लाल' बायान पर बढ़ा बवाल, हरिद्वार मेयर ने बताया अपमान

हरिद्वार। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के हरद्वारी लाल कहने पर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। हरिद्वार की मेयर अनिता शर्मा ने भी मामले में हरीश रावत का समर्थन करते हुए अनिल बलूनी के बयान की निंदा की है। प्रेस को जारी बयान में मेयर ने कहा कि भाजपा के राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की मजाक उड़ाते हुए हरद्वारी लाल कहकर एक तरह से हरिद्वारवासियों का अपमान किया है। उन्होंने कहा कि उनकी यह सोच दर्शाती है कि वे हरिद्वार के लोगों को दोयम दर्जे का समझते हैं। सम्पूर्ण भारत एक है, क्षेत्रवाद के नाम पर लोगों का अपमान करना इनकी छोटी सोच को ही दर्शाता है। कहा कि लगता है इनकी पार्टी ने इन्हें यही सिखाया है। इस बयान की जितनी निंदा की जाए कम है।
क्या कहा था बलूनी ने?
हरीश रावत पर तुष्टीकरण का आरोप लगाते हुए अनिल बलूनी ने लिखा था "आदरणीय रावत जी, अल्मोड़ा वाले हरदा ऐसे नहीं थे मगर जबसे आप हरदा से हरद्वारी लाल बने,आपने अपनी सोच और समझ आमूलचूल रूप से बदल दी है । अब आपने भी अपनी पार्टी की तरह ही तुष्टीकरण के हिंदू-मुस्लिम कार्ड को गले मे टांग लिया है। 
सर्वविदित है कांग्रेस की शुरुआत ही तुष्टिकरण से शुरू हुई है। देश का विभाजन हो, कश्मीर की समस्या हो, प्रभु राम के मंदिर के प्रकरण में बाधा डालना हो, उनके अस्तित्व को न्यायालय में नकारना हो, शाहबानो का केस हो या तीन तलाक का मसला। आपकी पार्टी तुष्टीकरण को वैतरणी मानकर चलती आई है। आप भी उसी राह पर चलेंगे यह स्वाभाविक है। 
केवल किसी धर्म विशेष का प्रतीक धारण करने से तुष्टीकरण का आरोप नहीं लग सकता है बल्कि उस एजेंडे पर एक के बाद एक फैसले लेकर आपने अपनी छवि स्थापित की है। आपने राज्य के मुख्यमंत्री रहते कई ऐसे फैसले लिये जो तुष्टीकरण की चादर ओढ़े थे। आपके इस प्रिय एजेंडे ने मीडिया को भी तुष्टीकरण का शिकार बनाया। आपने ईद पर केवल उर्दू अखबारों को विज्ञापन देकर न जाने क्या संदेश देना चाहा होगा। आपने इसी सोच के तहत अप्रत्याशित रूप से जिन 2 सीटों से चुनाव लड़ा उसे भी आपने तुष्टीकरण के भरोसे लड़ा।
              आप बड़े हैं, आदरणीय हैं, आपने अपनी पार्टी के लिए बहुत समय और योगदान दिया है। काग्रेस की सोच के अनुरूप आपने चुनाव से कुछ माह पूर्व तुष्टीकरण का एजेंडा परोस दिया है। कांग्रेस शायद इसी के इर्द-गिर्द चुनाव भी लड़ेगी। आप तुष्टिकरण को अलादीन का चिराग मान कर इसी एजेंडे के तहत 2022 के चुनाव में जाना चाह रहे हैं।"
हरीश रावत ने दिया था ये जवाब
अनिल बलूनी के हरद्वारी लाल बयान का हरीश रावत ने भी तगड़ा जवाब दिया। हरीश रावत ने लिखा "#थैंक्यू_बलूनी_जी, आपने मुझे हरद्वारी लाल कहकर संबोधित किया। अल्मोड़ा के लोगों का दिल बहुत बड़ा है, उनको यह जानकर के खुशी होगी कि उनका हरीश रावत हरिद्वार का दिल जीत सका और विपक्ष को भी उसको हरद्वारी लाल कहकर संबोधित करना पड़ा। हरिद्वार हमारी उत्तराखंड की धरती का एक गौरवपूर्ण हिस्सा है और मैं जिस उत्तराखंडियत के झंडे को लेकर के चलता हूंँ, हरिद्वार उस उत्तराखंडियत के झंडे का अभिन्न अंग है और उस उत्तराखंडियत के झंडे का जो चमकीला अंश है, रंग है वो अल्मोड़ियत है। हमारी संस्कृति का गौरवपूर्ण हिस्सा अल्मोड़ा और अल्मोड़े की अल्मोड़ियत। आप चिंता न करें, आपके बड़े भाई हरीश रावत का दिल इतना बड़ा है कि वो हरिद्वार के गन्ने की लड़ाई के साथ भटवाड़ी और साईंपोतो के मडुवे की लड़ाई भी लड़ सकता है। हमने तो अपने छोटे भाइयों से बहुत कुछ सीखा। आपसे हमने मुलामियत सीखी, लेकिन कभी अपने बड़े भाई से भी सीख लो कि कैसे दिल बड़ा किया जाता है और उस दिल में सभी को कैसे समाहित किया जाता है! खैर आपने मेरे दिल को पहचाना और मुझे हरद्वारी लाल कहा, मैंने तो खुद अपने आपको गन्नामैन कहा, क्योंकि मैं गन्ने की भी लड़ाई लड़ रहा हूंँ। मैं उस हर संघर्षशील आवाज की पहचान हूंँ जो अपने विकास और अपनी पहचान के लिए लड़ रहे हैं। आइये इस भाव में तो कम से कम, हम और आप साथ-साथ चल सकते हैं, बशर्ते मेरे साथ चलने में आपको कोई राजनैतिक नुकसान न हो। मगर आपने हरद्वारी लाल तो कह दिया और बहुत सारी बातें भी कह दी, मगर जो मेरे साथ आप विकास-विकास खेलना चाहते थे, रोजगार-रोजगार खेलना चाहते थे, उसका आपने कोई जिक्र नहीं किया वो खेल कब होगा, जरा मुझे भी उसकी तिथि-वार बता दीजिये। शायद आप कुछ वार-विपवार निकाल रहे होंगे, जब निकल जाएगा तो मुझे भी बता दीजिएगा।"