पंचतत्व में विलीन हुईं डॉ. इंदिरा हृदयेश, लोगों ने नम आंखों से दी अपनी नेता को अंतिम विदाई

पंचतत्व में विलीन हुईं डॉ. इंदिरा हृदयेश, लोगों ने नम आंखों से दी अपनी नेता को अंतिम विदाई
पंचतत्व में विलीन हुईं डॉ. इंदिरा हृदयेश, लोगों ने नम आंखों से दी अपनी नेता को अंतिम विदाई

हल्द्वानी (14 June 2021): उत्तराखंड की दिग्गज कांग्रेस नेता, हल्द्वानी से विधायक और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश (Indira Hridayesh) पंचतत्व में विलीन हो गईं। सोमवार दोपहर रानीबाग चित्रशिला घाट में उनके पुत्र बॉबी हृदयेश, सौरभ हृदयेश और सुमित हृदयेश ने दिवंगत नेता की चिता को मुखाग्नि दी। इससे पहले सोमवार यानि आज सीएम तीरथ सिंह रावत समेत कई शीर्ष नेता उनके अंतिम दर्शन को नैनीताल रोड स्थित उनके आवास पहुंचे।

बता दें कि रविवार को दिल्ली में निधन होने के बाद उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए उनके निवास स्थान पर रखा गया। उत्तराखंड़ के सीएम तीरथ सिंह रावत सहित भाजपा व कांग्रेस के नेताओं ने उनको श्रद्धांजलि दी। सुबह करीब 10 बजे इंदिरा का पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के स्वराज आश्रम लाया गया। यहां भी समर्थकों का तांता लगा रहा। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, कांग्रेस प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल श्रद्धांजलि देने पहुंचे। स्वराज आश्रम से इंदिरा की शवयात्रा नैनीताल रोड होते हुए चित्रशिला घाट पहुंची। यहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। शव यात्रा के दौरान लोगों ने उनको नम आंखों से श्रद्धांजलि दी।

उत्तराखण्ड की कद्दावर नेता रही इंदिरा ह्रदयेश का जन्म 7 अप्रैल 1941 को  अयोध्या में हुआ था। हल्द्वानी के ललित महिला इंटर कॉलेज में पहले अध्यापक और उसके बाद प्रधानाचार्य रही। यहॉ प्रधानाचार्य रहने के दौरान ही उन्होंने शिक्षक राजनीति में प्रवेश किया और 1974 में पहली बार उत्तर प्रदेश शिक्षक निर्वाचन सीट से विधानपरिषद् ( एमएलसी) बनीं। उसके बाद 1986 से 1992 तक, फिर 1992 से 1998 तक और फिर 1998 से 8 नवम्बर 2000 तक उत्तर प्रदेश विधानपरिषद् की सदस्य रही।

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पहले विधानसभा चुनाव 2002 में वह हल्द्वानी से पहली बार विधायक चुनी गई। उन्होंने भाजपा की अंतरिम सरकार के मन्त्री बंशीधर भगत को हराया। इसके बाद बनी नारायण दत्त तिवारी सरकार में वह लोकनिर्माण, विधायी एवं संसदीय कार्य तथा वित्त मन्त्री बनी। तिवारी मन्त्रिमंडल में वह सबसे अधिक ताकतवर मन्त्री रही। दूसरे विधानसभा चुनाव में 2007 में वह हल्द्वानी से ही भाजपा के बंशीधर भगत से चुनाव हार गई। 2012 में फिर जीतीं और विजय बहुगुणा और हरीश रावत सरकार में मंत्री बनी। 2017 में फिर से जीतने के बाद उन्हें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चुना गया।