गंगा जल उपयोग करने वाले कोरोना से बचे: शोध में दावा
वाराणसी:कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण के बीच गंगा किनारे रहने वाले लोगों के लिए राहत भरी खबर है। एनबीटी की खबर के अनुसार काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सायेंस (आईएमएस) ने गंगा किनारे रहने वाले लोगों पर कोरोना महामारी के असर पर रिसर्च किया है। रिसर्च के अनुसार, गंगा जल का रोजाना इस्तेमाल करने वाले लोगों पर कोरोना का असर सिर्फ 10 प्रतिशत है। इस रिसर्च को अमेरिका के इंटरनेशनल जर्नल ऑफ माइक्रोबायोलॉजी के अंक में प्रकाशित किया गया है।
भारत समेत तमाम देशों में इन दिनों कोरोना की वैक्सीन तैयार करने और कारगर इलाज की दवा खोजने पर तेजी से काम चल रहा है। इस क्रम में बीएचयू के डॉक्टर भी कोरोना पर 'वायरोफेज' नाम से रिसर्च में जुटे हैं। न्यूरोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. रामेश्वर चौरसिया और प्रख्यात न्यूरोलॉजिस्ट प्रो. वी.एन.मिश्रा की अगुवाई वाली टीम ने प्रारंभिक सर्वे में पाया है कि नियमित गंगा स्नान और गंगाजल का किसी न किसी रूप में सेवन करने वालों पर कोरोना संक्रमण का तनिक भी असर नहीं है।
गंगा किनारे के 90 प्रतिशत लोग कोरोना से बचे
रिसर्च टीम ने पाया कि गंगा किनारे रहने वाले और गंगा में स्नान करने वाले 90 प्रतिशत लोग कोरोना संक्रमण से बचे हुए हैं। इसी तरह गंगा किनारे के 42 जिलों में कोरोना का संक्रमण बाकी शहरों की तुलना में 50 फीसदी से कम और संक्रमण के बाद जल्दी ठीक होने वालों की संख्या ज्यादा है।
गंगाजल का नेजल स्प्रे भी तैयार
'वायरोफेज' रिसर्च टीम के लीडर प्रो. वी.एन. मिश्र ने बताया कि स्टडी के साथ ही गोमुख से लेकर गंगा सागर तक सौ स्थानों पर सैंपलिंग कर गंगा के पानी में ए-बायोटिकफेज (ऐसे बैक्टीरियोफेजी जिनकी खोज अब तक किसी बीमारी के इलाज के नहीं हुई है) ज्यादा पाए जाने वाले स्थान को चिन्हित किया गया है। इसके अलावा कोरोना मरीजों की फेज थेरेपी के लिए गंगाजल का नेजल स्प्रे भी तैयार कराया गया है।
मंजूरी के बाद शुरू होगा ट्रायल
इस पूरी कवायद की डिटेल रिपोर्ट आईएमएस की एथिकल कमिटी को भेज दी गई है। प्रो. वी. भट्टाचार्या के चेयरमैनशिप वाली 12 सदस्यीय एथिकल कमिटी की मंजूरी के बाद कोरोना मरीजों पर फेज थेरेपी का ट्रायल शुरू होगा।
गंगनानी के जल से 250 लोगों पर होगा ट्रायल
गंगोत्री से करीब 35 किलोमीटर नीचे गंगनानी में मिलने वाले गंगाजल का ह्यूमन ट्रायल में प्रयोग किया जाएगा। प्लान के मुताबिक सहमति के आधार पर 250 लोगों पर ट्रायल किया जाएगा। इसमें से आधे लोगों को दवा से छेड़छाड़ किए बिना एक पखवारे तक नाक में डालने को गंगनानी से लाया गया गंगाजल और बाकी को प्लेन डिस्टिल वॉटर दिया जाएगा। इसके बाद परिणाम का अध्ययन कर रिपोर्ट इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) को भेजी जाएगी।