राजनीति की भेंट चढ़ती थराली नगर पंचायत

राजनीति की भेंट चढ़ती थराली नगर पंचायत
राजनीति की भेंट चढ़ती थराली नगर पंचायत

थराली (मोहन गिरी): थराली नगर पंचायत और विवादों का बहुत गहरा नाता है। ये हम नहीं कह रहे ये कह रहे हैं थराली नगर पंचायत के वर्तमान हालात बयां कर रहे हैं।  ये हालात नगर पंचायत के गठन से चुनाव होने और चुनाव होने से अब तक बदस्तूर जारी हैं। कहने को तो थराली नगर पंचायत में जनता द्वारा चुना गया हर जनप्रतिनिधि इन हालातों और नगर पंचायत में चल रही तनातनी पर सवाल करने पर जवाब में बस एक ही रटा रटाया जवाब देते हैं कि यहां सब ठीक चल रहा है, लेकिन हम भी डंके की चोट पर इस बात को कहते हैं कि थराली नगर पंचायत में सब कुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है। कभी सभासद और नगर पंचायत अध्यक्ष तो कभी सभासद और नगर अधिकारी तो कभी अध्यक्ष और नगर अधिकारी के बीच विवाद उपजने लगते हैं।
आपसी तनातनी और राजनैतिक विद्वेष के चलते नगर पंचायत का विकास पीछे होता जा रहा है ,आलम ये है कि लंबे समय से नगर पंचायत की बोर्ड बैठक तक न हो सकी है। न ही आपदा में टूटे रास्तों, बंद नालियों,ओर सड़कों में बने गड्ढों पर न तो कोई प्रस्ताव बन पाया है और न ही बोर्ड में चर्चा ही हो सकी है। हालांकि सूत्र बताते हैं कि अब उपजिलाधिकारी थराली को नगर पंचायत थराली का अतिरिक्त प्रभार दिए जाने के बाद जल्द ही इसी  सितंबर माह में  बोर्ड बैठक होने की आस जगी है लेकिन इस बोर्ड बैठक में भी कई मुद्दों पर बहस और तनातनी की तस्वीर निकल कर सामने आएगी इससे भी गुरेज नहीं किया जा सकता है। 
नगर पंचायत थराली के विकास को महज इसी बात से समझा जा सकता है कि यहां चुनाव हुए अभी दो साल भी पूरे नही हुए लेकिन इन दो सालों में 3 अधिशासी अधिकारी के बाद उपजिलाधिकारी थराली को नगर के अधिशासी अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार देने  की नौबत आन पड़ी। नगर पंचायत गठन के समय यहां अधिशासी अधिकारी का जिम्मा श्री विनोद कुमार श्रेय को दिया गया जिनका वेतन तो थराली से निकलता था लेकिन साहब ड्यूटी अपने गृह जनपद हरिद्वार से किया करते थे। सभासदों और अध्यक्ष ने मोर्चा खोला तो साहब को यहां से स्थानांतरित किया गया और नगर पंचायत में ही अकाउंटेंट के पद पर तैनात कर्मी अंकित राणा को अधिशासी अधिकारी की शक्तियां प्रदान की गई। अभी  तकरीबन 6 माह ही बीते थे कि उनका भी स्थानांतरण तनातनी और राजनीतिक कारणों के चलते जोशीमठ कर दिया गया। शासन ने जनप्रतिनिधियों और जनता के दवाब को देखते हुए अब जिम्मा दिया श्रीमती बीना नेगी को और अधिशासी अधिकारी बनाकर थराली भेजा गया।
एक साल तक अधिशासी अधिकारी का पद संभालने के बाद जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया के निर्देशों पर अब बीना नेगी की बजाय उपजिलाधिकारी थराली किशन सिंह नेगी को अब नगर पंचायत थराली का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। इस अतिरिक्त प्रभार के लिए उपजिलाधिकारी थराली को पृथक से किसी भी प्रकार का वेतन या भत्ता देय नहीं होगा लेकिन अब सवाल ये उठता है कि आखिर जब नगर पंचायत थराली में सब कुछ ठीक ठाक ही चल रहा था तो आखिर ऐसा क्या हुआ जो नगर की अधिशासी अधिकारी बीना नेगी को यूं ही अधिशासी अधिकारी के पद से हटा दिया गया। हालांकि बीना नेगी के मुताबिक उन्होंने  शासन को भेजे पत्र में स्पष्ट किया है कि उन पर अनावश्यक रूप से नियम विरुद्ध कार्य करने  का दबाव बनाया जा रहा था। उनके पद को राजनैतिक परिपाटी से जोड़ा जा रहा था  साथ ही उन्होंने कहा कि नगर पंचायत में चल रही इस तनातनी की मुख्य वजह थी नगर पंचायत थराली में पूर्णकालिक नियमित कनिष्ठ अभियंता का न होना ,जबकि विकास कार्यो को सुचारू रूप से चलाने के लिए उनके द्वारा संविदा पर तैनात कनिष्ठ अभियंता की बजाय सरकारी नियुक्ति पाए नियमित कनिष्ठ अभियंता की मांग की गई थी।  इस मांग पर तहसील प्रशासन ने मुहर भी लगा दी थी लेकिन  फिर नगर पंचायत अध्यक्ष के दवाब के चलते दोबारा संविदा कनिष्ठ अभियंता की ही नियुक्ति की गई।
 वहीं इस पूरे प्रकरण पर नगर पंचायत की अध्यक्ष दीपा भारती द्वारा जानकारी देते हुए कहा गया कि उनके द्वारा भी शासन से नियमित अधिशासी अधिकारी की मांग की गई है उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए जानकारी दी कि नगर पंचायत के गठन से ही शासन ने श्री विनोद कुमार श्रेय को अधिशासी अधिकारी बनाकर थराली भेजा लेकिन वो अक्सर अपने दफ्तर और नगर से गायब ही रहते थे उसके बाद उनके द्वारा विनोद कुमार श्रेय के स्थानांतरण और नियमित अधिशासी अधिकारी की मांग की गई तो शासन प्रशासन द्वारा श्रीमती बीना नेगी को अधिशासी अधिकारी बनाकर थराली भेजा गया जबकि वे लिपिकीय संवर्ग से थी और इस बात का पता उन्हें कुछ माह पहले ही चला ऐसे में उनके द्वारा शासन से मांग की गई थी कि थराली में नियमित अधिशासी अधिकारी नियुक्त किया जाए क्योंकि प्रभारियों के भरोसे यहां का विकास कार्य प्रभावित हो रहा है। उनकी मांग का जिलाधिकारी चमोली ने संज्ञान लेते हुए आदेश जारी किया है कि जब तक थराली नगर पंचायत को नियमित अधिशासी अधिकारी न मिल जाये तब तक उपजिलाधिकारी थराली को नगर पंचायत थराली के अधिशासी अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार देकर विकास का जिम्मा सौंपा गया है। 
अब बड़ा सवाल ये भी है कि जब थराली में प्रभारी नहीं बल्कि विशुद्ध औऱ नियमित अधिशासी अधिकारी की ही आवश्यकता थी तो फिर समय रहते जनप्रतिनिधि समय रहते क्यों नहीं चेते ,अगर नियमित अधिशासी अधिकारी ही विकास की बयार बहाने में सक्षम हैं तो क्या ये माना जाए कि प्रभारी अधिशासी अधिकारियों के कार्यकाल के लगभग 2 वर्ष यूँ ही जाया गए तो फिर क्यों चुने गए जनप्रतिनिधियों ने प्रभारियों के भरोसे बैठकर थराली के विकास को एक साल पीछे धकेला? 
वर्तमान हालात को देखकर तो शायद यही कहा  जा सकता है कि शायद चुने गए जनप्रतिनिधियों में न तो विकास का कोई एजेंडा है न ही कोई प्लानिंग वरना 2 साल में तीन अधिशासी अधिकारी बदलने के बाद उपजिलाधिकारी को अतिरिक्त प्रभार दिए जाने की नौबत न आती 
जबकि उपजिलाधिकारी के पास इस समय कोरोना काल मे काफी जिम्मेदारियां बढ़ गयी है ऐसे मे नगर  पंचायत थराली के अधिशासी अधिकारी का प्रभार संभालना भी किसी चुनौती से कम नहीं।