आखिरकार यूपीआरएनएन को दिखा ही दिया बाहर का रास्ता

आखिरकार यूपीआरएनएन को दिखा ही दिया बाहर का रास्ता
भ्रष्टाचार के लिए बदनाम यूपीआरएनएन को बाहर का रास्ता दिखा कर ही माने सीएम त्रिवेन्द्र

देहरादून: भ्रष्टाचार के लिए बदनाम हो चुकी यूपी की निर्माण एजेंसी उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) समेत उत्तर प्रदेश की दो कार्यदायी संस्थाओं को त्रिवेन्द्र सरकार ने आखिरकार बाहर का रास्ता दिखा दिया है। सरकार बनने के बाद त्रिवेन्द्र सरकार ने ही प्रतिबंध भी ठोका था। अब मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को इन संस्थाओं को राज्य की कार्यदायी संस्थाओं की सूची से हटाने के फैसले पर मुहर लगा दी है। कैबिनेट मंत्री एवं शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि मंत्रिमंडल ने राज्य की कार्यदायी संस्थाओं को प्रोत्साहन देते हुए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यूपीआरएनएन के साथ ही उत्तर प्रदेश समाज कल्याण निर्माण निगम की उत्तराखंड में कार्यरत विंग अब कार्यदायी संस्थाएं नहीं रहेंगी। इन्हें राज्य में अब निर्माण कार्यों को नहीं सौंपा जाएगा। राज्य में कुल 21 कार्यदायी संस्थाएं सूचीबद्ध थीं। अब इनकी संख्या 19 रह गई है। यूपीआरएनएन को प्रदेश सरकार पहले भी काली सूची में शामिल कर चुकी है। निगम के खिलाफ सिडकुल समेत विभिन्न निर्माण कार्यों में बड़े स्तर अनियमितताओं को लेकर जांच चल रही है। मंत्रिमडल ने उत्तरप्रदेश समाज कल्याण निर्माण निगम को भी कार्यदायी संस्थाओं की सूची से हटाया है। 
800 करोड़ की अनियमितता उजागर
वर्ष 2012 से 2017 तक पांच वर्षों में निगम को सौंपे गए 4200 करोड़ से ज्यादा के कार्यों के स्पेशल आडिट में तकरीबन 800 करोड़ की अनियमितता उजागर हुई थी। अब सिडकुल में निर्माण कार्यों में अनियमितता को लेकर निगम के खिलाफ एसआइटी जांच चल रही है। निगम को कार्यदायी संस्थाओं की सूची से बाहर तो कर दिया गया, लेकिन उसकी मुश्किलें अभी कम होने वाली नहीं हैं।
अलग उत्तराखंड राज्य बनने के बाद यूपीआरएनएन के हिस्से में ही सबसे ज्यादा निर्माण कार्य आए। हालांकि तमाम कार्यों में अनियमितता और सेंटेज की व्यवस्था को लेकर निगम पर तमाम सवाल लगते रहे हैं। इस मामले में सबसे बड़ा मोड़ स्पेशल आडिट रिपोर्ट के बाद आया। पांच वर्षों की आडिट रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर अनियमितता सामने आने के बाद सरकार ने विभिन्न स्तरों पर इसकी जांच कराई। नियोजन विभाग की ओर से भी निगम के खिलाफ जांच कराई गई। अब एसआइटी भी तमाम स्तरों पर बरती गई अनियमितता के खातों को खंगाल रही है।