उत्तराखंड में रिटायरमेंट के बाद कुर्सी का जुगाड़ अब ना हो पाएगा !

उत्तराखंड में रिटायरमेंट के बाद कुर्सी का जुगाड़ अब ना हो पाएगा !
उत्तराखंड में रिटायरमेंट के बाद कुर्सी का जुगाड़ अब ना हो पाएगा !

देहरादून: उत्त्तराखण्ड में रिटायरमेन्ट के बाद भी नियमों को ताक में रख सरकार पर मलाईदार कुर्सियों पर तैनाती का अघोषित रिवाज रहा है। राज्य गठन के बाद से ही कई अधिकारी-कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद भी वर्षों तक सरकारी कुर्सियों में जमे रहे। लेकिन अब ऐसा होना मुश्किल कर दिया गया है। सोमवार  मुख्य  सचिव ओमप्रकाश की ओर से जारी एक आदेश में अब उत्तराखंड में रिटायर्ड कर्मचारियों की पुनर्नियुक्ति व संविदा में अब काफी पेंच फंसा दिए गए हैं। आज जारी शासनादेश में चौड़े शासनादेश में कई नियम व शर्तें जोड़ी गई हैं। हालांकि इस शासनादेश से भी इस तरह की नियुक्ति क्या वास्तव में रुक पाएंगी इसमें संदेह है। दरअसल रिटायरमेंट के बाद से  2013 में भी इस बाबत शासनादेश जारी किया गया था जिसमें विशेष प्रशिक्षित व दक्ष व्यक्ति को ही रिटायरमेंट के बाद पुनर्नियुक्ति दिए जाने का प्रावधान था। बहरहाल मुख्य सचिव की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि-
 

  • सेवानिवृति के बाद फिर से सरकारी कुर्सी पाने वाले को प्रशासकीय विभाग सतर्कता व कार्मिक विभाग की बिना अनुमति के मुख्यमन्त्री स्तर पर आवेदन भेज रहे हैं।
  • यही नही समूह ग और घ के ऐसे रिटायर कर्मचारियों को जो विशेष योग्यता नही रखते उनको भी प्रतिनियुक्ति दी जा रही है।
  • जारी आदेश में कहा गया है कि कुछ विभाग सतर्कता व कार्मिक विभाग की सहमति नही मिलने के  बावजूद मुख्यमंत्री स्तर पर सहमति लेने के बाद विशेष कार्य अधिकारी व अन्य पदनाम से नियुक्त कर रहे हैं इससे उस विभाग के मानव संसाधन पर विशेष असर पड़ रहा है।साथ ही वित्तीय बोझ भी पड़ रहा है ।
  • शासनादेश में यह भी लिखा है कि कुछ प्रशासकीय विभाग ऐसे रिटायर्ड कर्मचारियों को भी पुनर्नियुक्ति दे रहे हैं जो उस पद के योग्य नहीं है।
  • नए शासनादेश के अनुसार अब यदि कोई प्रशासकीय विभाग सतर्कता एवं कार्मिक विभाग में पुनर्नियुक्ति का कोई प्रस्ताव पेश करता है तो उसे इस आशय का प्रमाण पत्र भी देना होगा कि उक्त विभाग में कार्यरत कर्मचारी व अधिकारी अपना कार्य ठीक ढंग से करने में समर्थ नहीं है।यह प्रमाणपत्र विभाग की प्रमोशन समिति को भी भेजा जाएगा।
  • मुख्य सचिव के आदेश में यह भी कहा गया कि पुनर्नियुक्ति पाए कर्मचारी को छह माह के अंदर अन्य कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने होगा ताकि उस विभाग में पुनर्नियुक्ति की जरूरत न पड़े।
  • आदेश में यह भी कहा गया है कि जिन विभागों में विभाग अध्यक्ष/ अपर विभागाध्यक्ष के पद पूर्ण रूप से भरे हुए हैं उन विभागों में पुनः नियुक्ति किसी भी दशा में नहीं की जाएगी। इसके अलावा 62 वर्ष से अधिक आयु वाले रिटायर्ड अधिकारी की पुनर्नियुक्ति भी दशा में नही की जाएगी।

देखें शासनादेश