दलाल मुक्त बनने की ओर अग्रसर  है उत्तराखंड

दलाल मुक्त बनने की ओर अग्रसर  है उत्तराखंड
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 देहरादून: उत्तराखंड राज्य के गठन के बीस साल पूरे होने को हैं। इन दो दशकों में भाजपा और कांग्रेस की सरकारें रहीं और कई मुख्यमंत्री आए और गए लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत का राज कुछ मामलों में मिसाल बन गया है। जहां कभी कोई भी ऐरा गैरा सीधे सीएम तक पहुंच की बात करते हुए दलाली करते दिखाई दे जाता था वहीं लेकिन त्रिवेन्द्र सरकार के समय यह कहते हुए शायद ही किसी को सुना हो। यानी सरकार को कोई अब चौराहे पर नीलाम करने की हिम्नत नहीं कर सकता। दरअसल अबसे पहले तक की अधिकांश सरकारों में दो तरह के सत्ता चलती थी। एक तो वो जिसे सत्ताधीश चलाते थे और दूसरे वह जो सत्ता को अपनी उंगलियों पर नचाते थे। त्रिवेंद्र राज में इन सत्ता की दलाली करने वालों को सख्ती से कुचला गया। पहली बार दलाल मुक्त बनने की ओर  है उत्तराखंड। यही वजह है कि पहले की सरकारों में दलाली करने वाले अब दान न गलती देख हताश और निराश होकर लगातार समाज सेवा और पत्रकारिता की आड़ में लगातार सिर्फ और सिर्फ त्रिवेन्द्र सिंह रावत को निशाना बनाते रहते हैं। 
माल कूटने वालों पर कसी लगाम
राज्य गठन के बाद इस प्रदेश में विकास कार्य जिस गति से हुए उससे कहीं तेजी से खनन, शराब, ट्रांसफर-पोस्टिंग, टेंडर व सरकारी जमीनों को खुर्द-बुर्द करने धंधा फैला। माफियाओं और राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों के साथ-साथ इस धंधे में वो लोग भी आये जो पत्रकारिता की आड़ में पहले से ही सत्ता की दलाली कर रहे  थे। सचिवालय व मंत्रालयों तक पहुंच वाले ये दलाल जमकर चांदी काटा करते थे। कुछ हाई प्रोफाइल दलाल तो बड़े नेताओं, मंत्रियों व बड़े अफसरों के बंगलों में, दफ्तरों में अजगर के जैसे पड़े रहते थे। लेकिन 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में भाजपा की प्रचंड बहुमत की सरकार ने जब कामकाज शुरू किया तो एक नए दौर का आगाज हुआ। इस दौर के बारे में खुद भाजपा के स्थानीय नेताओं तक ने भी न सोचा होगा। यही वजह है रही कि त्रिवेन्द्र सरकार को अस्थिर करने के प्रयास उनकी खुद की पार्टी के नेताओं की ओर से भी खूब हुए लेकिन अडिग त्रिवेन्द्र सरकार के सामने इनकी कुछ खास चली नहीं। 
ट्रांसफर पोस्टिंग का उद्योग खत्म
उत्तराखंड में माफिया का वर्चस्व इस कदर था कि यहां खनन, शराब, टेंडर और ट्रांसफर पोस्टिंग एक उद्योग का रूप ले चुका था, इसलिए यह माना जा रहा था कि इस सरकार में भी यह सब पहले की तरह बदस्तूर चलता रहेगा। लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी शपथ लेते ही दलालों की कमर तोड़ने का अभियान शुरु कर दिया था। इसलिए उन्होंने सरकार बनाते ही कुछ ऐसे फैसले लिये जो जिसने दलालों व माफिया के कैंप में खलबली मचा दी। मसलन  कुर्सी संभालते ही सबसे पहले ट्रांसफर एक्ट बना दिया। इस एक्ट के बनने से ट्रांसफर-पोस्टिंग में होने वाला अरबों का रुपये का काला धंधा रुक गया। एक्ट में जरूरतमंद कार्मिकों के लिए धारा-27 का प्रावधान रखा, ताकि बीमार व अन्य कोई पारिवारिक मजबूरी वाले कार्मिकों को राहत देने का रास्ता बना रहे, लेकिन पैसा लेकर मनमाफिक जगहों पर ट्रांसफर करा देने वाले दलालों के लिए सारे रास्ते इस एक्ट ने बंद कर दिये। 
ई-टेंडरिंग ने तोड़ी टेंडर माफिया की कमर
त्रिवेंद्र सरकार ने ही टेंडर की प्रक्रिया को भी मैनुअल से हटा कर ई-टेंडरिंग में बदल दिया। इससे टेंडर दिलवाने के काम के ठेके लेने वाले दलालों की इस सेक्टर में भी एंट्री बंद हो गयी। दलाली का एक और बड़ा सेक्टर था खनन। यहां खनन में हर साल अरबों-खरबों का कारोबार होता है। माफिया और दलाल इस पूरे खनन के कारोबार पर एकाधिकार करके सरकारी खजाने को तो चूना लगा ही रहे थे आम आदमी को भी इस कमाई वाले क्षेत्र में नहीं घुसने दे रहे थे। खनन पट्टों का अलाटमेंट शासन स्तर से होने के कारण दलालों के यह आसान होता था कि पट्टे किसे दिलाये जाएं। सरकार ने पिछले तीन साल में खनन सेक्टर में बड़े परिवर्तन कर दिये हैं। अब खनन के पट्टे जिलाधिकारी के स्तर से आवंटित होते हैं। जिलाधिकारी को इसमें होने वाली हर तरह की गड़बड़ी वह चाहे राजस्व चोरी की हो, अनियमित तरीके से खनन करने का हो, या फिर एग्रीमेंट से बाहर जाकर खनन का मसला हो, के लिए सीधे जिम्मेदार ठहराते हुए पट्टे निरस्त करने का अधिकार भी सरकार ने दे दिया है। इस व्यवस्था से खनन में एकाधिकार रखने वाले माफिया पर सरकार का जोरदार हंटर चला और उनकी भी कमर टूट गयी।
भू-माफिया पर चला रेरा का चाबुक
खनन, शराब, ट्रांसफर माफिया के बाद त्रिवेंद्र रावत का चाबुक भू-माफिया पर चला। रेरा के तहत भू-माफियाओं पर नकेल कसते हुए त्रिवेंद्र सरकार ने सरकारी जमीनों को खुर्द-बुर्द करने वाले दलालों की मंशाओं पर पानी फेरते हुए जमीनों की अवैध खरीद-फरोख्त पर लगाम लगाया। इसके अलावा जनहित कार्यों के नाम पर कब्जाई गई हजारों एकड़ जमीन सरकार में निहित करवाई। देहरादून में अंगेलिया सोसाइटी की ११०० एकड़ जमीन सहित डोईवाला में सैकड़ों एकड़ जमीन और ऊधमसिंह नगर में पराग फार्म की जमीन सहित कई अन्य अरबों-खरबों की जमीनों को राज्य सरकार में निहित करवा दिया।
काबीलियत से होती है जिलों में पोस्टिंग
त्रिवेंद्र रावत के इस सफाई अभियान से मुख्यमंत्री कार्यालय और मंत्रालयों को भी आज काफी हद तक दलाली से मुक्ति मिल चुकी है। अब न तो कोई आईएएस पैसा देकर डीएम बनता है और न ही कोई आईपीएस कप्तान बनने के लिए पैसा देता है।  उमेश जे कुमार जैसे कई बड़े दलाल सीएम कार्यालय को अपनी उंगलियों पर नचाना चाहते थे और खनन तथा आबकारी नीति को अपने हिसाब से बनवाने से लेकर अफसरों की पोस्टिंग में दखलंदाजी करना चाहते थे। यही नहीं ये दलाल पावर प्रोजेक्ट आवंटन व सरकार के बड़े ठेकों को दिलाने में भी हस्तक्षेप करने की ख्वाहिश रखते थे लेकिन त्रिवेंद्र रावत ने इन सबके मंसूबों पर पानी फेर दिया। 
बड़ा खुलासा होने वाला है जल्दी
 सुनने में तो आ रहा है कि त्रिवेंद्र रावत ने इंटेलिजेंस की एक बड़ी टीम को इस पूरे रैकेट और इनको फाइनेंसियल सपोर्ट करने वाले राजनेताओं की कुंडली खंगालने का टास्क दे दिया है। सूत्रों के मुताबिक इंटेलिजेंस की टीम ने दलालों के तार को हेड से टेल तक ट्रेस भी कर लिया है। शीर्ष पर वे राजनेता हैं, जो अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए सरकार को अस्थिर करते हैं। वे उमेश जे कुमार जैसे दलालों को आगे करके काम करते रहते हैं। यह भी पता चल रहा है कि ये राजनेता इन दलालों को इस काम के लिए मोटा पैसा भी उपलब्ध करा रहे हैं। दलालों के इस कुनबे में टेल पर एक तरफ तो वो लोग हैं जो सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार या मुख्यमंत्री को लेकर अभद्र भाषा से टिप्पणियां करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं  

दूसरी तरफ कुछ ऐसे तथाकथित पत्रकार भी हैं जो इनके टुकड़ों पर न्यूज पोर्टल, मैगजीन या छोटे-बड़े समाचार पत्रों में त्रिवेंद्र सरकार के खिलाफ ख़बरें छापने में लाए हुए है। यही कारण है कि देवस्थानम बोर्ड व गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी जैसे सरकार के बड़े व महत्वपूर्ण फैसलों को भी इन्होंने नकारात्मक खबर के रूप में प्रचारित किया। ऐसी खबरों में जानबूझकर विपक्ष के नेताओं के बयान डालकर उन्हें समाचार का रूप देने की नापाक कोशिश ये लोग समय-समय पर करते रहते हैं। बताया जा रहा है कि इंटेलिजेंस ने दलालों के इस पूरे कुनबे की हिस्ट्री को अच्छे से खंगाल लिया है क्यूंकि इन्ही कार्यों में संलिप्त पिछले दिनों जेल भेजा गया राजेश शर्मा का इनपुट भी इंटेलिजेंस के बहुत काम आया है।इंटेलिजेंस जल्दी ही दिल्ली में बैठे कुछ बड़े आकाओं को लेकर बड़ा धमाका कर सकती है।