उत्तराखंड में क्वारंटीन सेंटरों व कोरोना अस्पतालों की बदहाली पर कोर्ट ने मांगा जवाब

उत्तराखंड में क्वारंटीन सेंटरों व कोरोना अस्पतालों की बदहाली  पर कोर्ट ने मांगा जवाब
सांकेतिक तस्वीर

नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने प्रदेश में क्वारंटीन सेंटरों व कोरोना अस्पतालों की बदहाली के मामले पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार से कहा पूछा है कि उत्तराखंड में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में डब्ल्यूएचओ की ओर से जारी मानकों का कितना अनुपालन किया जा रहा है? कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को इसकी विस्तृत रिपोर्ट 17 सितंबर तक शपथपत्र के माध्यम से पेश करने के निर्देश दिए हैं। 
नैनीताल हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ एवं न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। हाईकोर्ट के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार ने प्रदेश के 6 अस्पतालों को कोविड-19 के रूप में स्थापित किया है, लेकिन इन अस्पतालों में कोई भी आधारभूत सुविधाएं नहीं हैं।जिसके बाद देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने भी उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।
बदहाल क्वारंटीन सेंटरों के मामले में जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर माना कि उत्तराखंड के सभी क्वारंटीन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं और सरकार की ओर से वहां पर प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है, न ही ग्राम प्रधानों के पास कोई फंड उपलब्ध है।
मामले को गंभीरता से लेते हुए पूर्व में हाईकोर्ट ने सरकार और स्वास्थ्य सचिव को जवाब पेश करने का आदेश दिया था। इस आदेश के तहत जिला विधिक प्राधिकरण की रिपोर्ट के आधार पर क्वारंटीन सेंटरों की कमियों को 14 दिन के अंदर दूर कर विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा था।