PM मोदी को मानवाधिकार पर लेक्चर नहीं देंगे अमेरिकी राष्‍ट्रपति..', बाइडेन को चिट्ठी लिखने वाले 75 सांसदों को पेंटागन की खरी-खरी

PM मोदी को मानवाधिकार पर लेक्चर नहीं देंगे अमेरिकी राष्‍ट्रपति..', बाइडेन को चिट्ठी लिखने वाले 75 सांसदों को पेंटागन की खरी-खरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका में हैं. वहां वह अपनी पहली राजकीय यात्रा पर गए हैं. बुधवार, 21 जून को उनका व्हाइट हाउस में जोरदार स्वागत हुआ. उसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और स्टेट डिनर में भी हिस्सा लेंगे. हालांकि, उनके वॉशिंगटन पहुंचने से पहले ही अमेरिका के 70 से ज्यादा सांसदों ने एक लेटर लिखकर, अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडेन से कहा कि नरेंद्र मोदी से भारत में लोकतंत्र के मानकों और मानवाधिकारों को लेकर भी बात की जाए. वहां की कई मानवाधिकार संस्थाओं ने भी भारत में मानवाधिकारों को लेकर सवाल उठाए. इस पर अब अमेरिकी सरकार का जवाब आया है.

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुल्विन ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन लोकतंत्र पर पीएम मोदी को "लेक्‍चरर" नहीं देंगे. सुलिवन ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राष्ट्रपति बाइडेन से भारत के हालिया लोकतांत्रिक रिकॉर्ड के बारे में अमेरिका की चिंताओं को उठाने की उम्मीद है, लेकिन इस तरह से नहीं कि अमेरिका मानवाधिकारों पर भारत के प्रधानमंत्री को लेक्‍चरर दे. वो सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. और, हम यह दावा नहीं करना चाहते कि हमारे सामने ऐसी चुनौतियां नहीं हैं."

जैक सुल्विन के मुताबिक, दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री मानवाधिकार के मुद्दे पर भी चर्चा करेंगे. उन्‍होंने कहा कि हम ऐसा सार्वजनिक तौर पर करते हैं. हम ऐसा निजी तौर पर करते हैं. हम ऐसा इस तरह से करते हैं जिससे ऐसा न लगे की हम लेक्चर देने की कोशिश कर रहे हैं या यह दावा नहीं करते हैं कि हमारे सामने इस तरह की चुनौतियां नहीं हैं. उन्होंने आगे कहा, 'जब अमेरिका देखता है कि प्रेस, धार्मिक या अन्य तरह की आजादी के लिए चुनौतियों खड़ी हो रही हैं, तो हम उस पर अपने विचार रखते हैं. लेकिन, हम सिर्फ अपने विचार व्यक्त करते हैं, लेक्चर नहीं देते या फिर ऐसा दिखाने की कोशिश नहीं करते कि हमारे देश में वो चुनौतियां नहीं हैं…आखिरकार, भारत में राजनीति और लोकतांत्रिक संस्थाओं के सवाल को भारतीय ही निर्धारित करेंगे. अमेरिका उस पर कुछ नहीं कर सकता.'

बता दें कि इससे पहले अमेरिकी विदेश विभाग और नागरिक समाज संगठनों की रिपोर्टों का हवाला देते हुए, जो बाइडेन की पार्टी के 75 सांसदों ने एक लेटर में बाइडेन से कहा था, "हम भारत में धार्मिक असहिष्णुता के बढ़ने, प्रेस की स्वतंत्रता, इंटरनेट पहुंच और सिविल सोसाइटी संगठनों को निशाना बनाने को लेकर चिंतित हैं. हम चाहते हैं कि आप भारतीय पीएम मोदी के समक्ष भारत में पॉलिटिकल स्पेस के कम होने, धार्मिक असहिष्णुता के बढ़ने, सिविल सोसाइटी संगठनों और पत्रकारों को निशाना बनाने, प्रेस और इंटरनेट पर बढ़ते प्रतिबंधों का मुद्दा उठाएं."