केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ ममता बनर्जी भी केजरीवाल के साथ, राज्यसभा में बिल का विरोध करेगी टीएमसी

केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ ममता बनर्जी भी केजरीवाल के साथ, राज्यसभा में बिल का विरोध करेगी टीएमसी

केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ अरविंद केजरीवाल को अब पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का भी साथ मिल गया है। ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की चुनी हुई सरकार की शक्तियां छीनने वाले केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात कर टीएमसी का समर्थन मांगा। सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र का अध्यादेश दिल्ली सरकार के खिलाफ है। राज्यसभा में जब यह अध्यादेश बिल के रूप में आएगा तो टीएमसी इसका पूरजोर विरोध करेगी।

2024 से पहले भाजपा को हराने का यह बड़ा मौका है। सभी विपक्षी दल एक होकर राज्यसभा में बिल को गिरा सकते हैं। सीएम अरविंद केजरीवाल ने टीएमसी से समर्थन मिलने पर सीएम ममता बनर्जी धन्यवाद करते हुए कहा कि राज्यसभा में बिल गिर जाता है तो ये 2024 का सेमी फाइनल हो जाएगा। इनको बहुत अहंकार हो गया है। देश की जनता को ऐसी अहंकारी सरकार को अब हटा देना चाहिए।

केंद्र के अध्यादेश को राज्यसभा में हराने के लिए सभी विपक्षी दलों का समथर््ान हासिल करने के इरादे से मंगलवार को आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पश्चिम बंगाल पहुंचे। यहां कोलकाता में उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात कर उनका समर्थन मांगा। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश समेत कई राजनीति मुद्दों पर लंबी चर्चा हुई। सीएम अरविंद केजरीवाल के साथ पंजाब के सीएम स. भगवंत मान, राज्यसभा सदस्य संजय सिंह, राघव चड्ढा और कैबिनेट मंत्री आतिशी भी मौजूद रहीं। इसके बाद सीएम अरविंद केजरीवाल के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता कर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने अध्यादेश के खिलाफ राज्यसभा में आम आदमी पार्टी का साथ देने की घोषणा की। 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र जो अध्यादेश लेकर लाया है, वो दिल्ली सरकार के खिलाफ है। हम दिल्ली का साथ देंगे। सभी विपक्षी दलों के लिए एक होने का यह एक मौका है। इसका पूरे देश में बहुत बड़ा संदेश जाएगा कि हम भाजपा को राज्यसभा में हरा सकते हैं और केंद्र सरकार का अध्यदेश भी गिराया जा सकता है। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को हराने के लिए यह बहुत बड़ा मौका है। हमारी पार्टी ने यह निर्णय लिया है कि हम राज्यसभा के अंदर केंद्र के अध्यादेश का विरोध करेंगे। साथ ही सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में न्याय भी मांगेंगे।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का धन्यवाद करते हुए कहा कि जब 2015 में दिल्ली में पहली बार आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी, तब केंद्र सरकार ने एक साधारण नोटिफिकेशन पास करके दिल्ली की चुनी हुई सरकार की सारी शक्तियां छीन ली कि हम किसी अफसर की ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं कर सकते। अगर कोई अगर कोई अफसर गलत काम करें तो हम उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं सकते। ये सारी शक्तियां हमसे छीन ली गईं। आठ साल तक दिल्ली के लोगों ने संघर्ष किया। हम सुप्रीम कोर्ट गए। 8 साल के संघर्ष के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हमारे पक्ष में आदेश दिया और दिल्ली की जनता जीत गई। लेकिन जैसे ही सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया, इन्होंने इसके एक हफ्ते बाद अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलट दिया। 

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को उस दिन पलटा, जिस दिन सुप्रीम कोर्ट छुट्टियों पर जा रहा था। इसका मतलब यह है कि इनके दिल में काला था। इन्हें पता था कि अगर सुप्रीम कोर्ट खुला होता, तो अगले ही दिन अध्यादेश पर स्टे लग जाता। इन लोगों ने लोकतंत्र का मजाक बना दिया है। ये तीन तरीके से चुनी हुई सरकारों को तंग कर रहे हैं। पहला, जहां पर भाजपा की सरकार नहीं बनती है, वहां ये एमएलए खरीद कर सरकार गिरा देते हैं और अपनी भाजपा की सरकार बना देते हैं। दूसरा, जहां बीजेपी की सरकार नहीं बनती, वहां ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल करके दूसरी पार्टी के विधायकों को डराते-धमकाते हैं और उनको तोड़ देते हैं। उनकी सरकार गिराकर भाजपा की सरकार बना लेते हैं।

तीसरा, जहां भाजपा की सरकार नहीं बनती, वहां कानून का गलत इस्तेमाल करके गवर्नर के जरिए या अध्यादेश पास करके उस गैर भाजपा सरकार को काम ही नहीं करने देते हैं। हम पश्चिम बंगाल, पंजाब, तमिलनाडु और तेलंगाना में भी देख रहे हैं कि किस तरह से गवर्नर तंग कर रहे हैं। 

पंजाब के सीएम भगवंत मान ने ममता बनर्जी का धन्यवाद करते हुए कहा कि जब मैं लोकसभा में था। उस दौरान जो भी गलत बिल आते थे तो मैं तृणमूल कांग्रेस के साथ मिलकर विरोध करते थे। हम बेल में भी जाते थे। बहुत से बिलों को वापस भी करवाए। पश्चिम बंगाल और पंजाब का रिश्ता बहुत मजबूत है। आजादी के संघर्ष के दौरान शहीद-ए-आजम भगत सिंह लाहौर से सीधे कोलकाता आते थे और कोलकाता से आजादी के परवाने उनके साथ जाते थे। अभी भी पश्चिम बंगाल का पंजाब से बहुत गहरा नाता है, क्योंकि भारी संख्या में पंजाबी यहां रहते हैं और उनका ट्रांसपोर्ट समेत कई तरह के बिजनेस है। केंद्र सरकार के लोग लोकतंत्र को अपने पक्ष में करने के लिए कोई भी तरीका अपनाने लगे हैं। हमें पंजाब में 117 में से 92 विधायकों का प्रचंड जनादेश है।

इसके बाद भी बजट सत्र को चलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि बजट सत्र राज्यपाल नहीं रोक सकते, ये चलना चाहिए। ये लोग इस स्तर तक हमें तंग करते हैं। अगर राज्यपालों और प्रधानमंत्री को ही मिलकर देश को चलाना है तो चुनाव पर इतना खर्च क्यों किया जा रहा है? 30-31 राज्यपाल और प्रधानमंत्री ही देश को चला लें। ये लोग विदेशों में जाकर ढ़िढोरा पीटते हैं कि भारत सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, लेकिन देश के अंदर किसी को भी काम नहीं करने देते हैं। करोड़ों लोग अपनी पसंद का विधायक और मुख्यमंत्री चुनते हैं। फिर वो किस लिए वोट कर रहे हैं। इन्होंने लोकतंत्र का मजाक बना रखा है।

अब देश के लोकतंत्र को बचाने का सवाल है। पार्टियों के बीच वैचारिक मतभेद हो सकते हैं लेकिन जब देश रहेगा तभी पार्टियां रहेंगी। इन लोगों ने देश के संविधान पर खतरा पैदा कर दिया है। इनको सत्ता की बहुत भूख हो गई है और अहंकारी हो गए हैं। हम लोग देश को दुनिया में नंबर वन बनाना चाहते हैं, लेकिन ये तभी संभव है, जब सच्ची नीयत वाले लोग आगे आएंगे।