प्लेन उड़ती तो देर से है, फिर यात्रियों को क्यों बैठा देते हैं जल्दी, क्या आप जानते हैं इसका जवाब?

प्लेन उड़ती तो देर से है, फिर यात्रियों को क्यों बैठा देते हैं जल्दी, क्या आप जानते हैं इसका जवाब?

आजकल हम सभी जानते हैं इंसान के पास वक्त कम होता है. हर कोई चाहता है कि वो ज्यादा से ज्यादा समय बचा ले, फिर चाहे वो सफर करने का टाइम हो या फिर किसी लंबे काम को चुटकियों में निपटा लेने का. यही वजह है कि अब आरामदायक यात्रा और टाइम बचाने के लिए अब लोग ट्रेन के बजाय फ्लाइट ले लेते हैं. हालांकि हवाई यात्रा करने से पहले ये जान लेना बहुत ज़रूरी होता है कि आपको यहां क्या करना है और क्या नहीं.

अक्सर आपने नोटिस किया होगा कि जब भी हम हवाई यात्रा करते हैं, तो फ्लाइट में बोर्डिंग पहले हो जाती है और इसे उड़ने में काफी टाइम लग जाता है. वैसे तो ये हमारे रूटीन में आ गया है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा होता क्यों है? इंटरनेट पर भी लोग इस बात को पूछते हैं, लेकिन इसका सही-सही जवाब शायद ही किसी को पता होगा. चलिए अज इसी पर हम बात करते हैं.

बोर्डिंग के बाद खड़े रहते हैं प्लेन
फ्लाइट हमारी यात्रा का लंबा समय बचाती हैं और ये कई दिनों का सफर घंटों में खत्म कर देती हैं. हालांकि इनसे जुड़ी हुई भी कुछ चीज़ें ऐसी हैं, जो कई बार झल्लाहट की वजह बन जाती हैं. मसलन बोर्डिंग के दौरान लगने वाला समय या फिर बोर्डिंग के बाद उड़ान में होने वाली देरी. कई बार तो एयरक्राफ्ट में बैठे हुए आधे घंटे से लेकर 40 मिनट हो जाते हैं और यात्री बेचैन हो जाते हैं. वैसे तो बोर्डिंग पहले कराने के पीछे मकसद यही होता है कि सिक्योरिटी और बाकी चीज़ें वक्त पर हो जाएं ताकि प्लेन का फ्लाइंग टाइम प्रभावित न हो. इसके पीछे की वजह जानने के लिए हमने स्टार एयर कंसल्टिंग के चेयरमैन हर्ष वर्धन से बात की और उन्होंने इसकी कुछ वजहें बताईं.

ये होती हैं देरी की वजहें …
एविएशन एक्सपर्ट हर्षवर्धन के मुताबिक कई बार बोर्डिंग के बाद एयरक्राफ्ट का गेट बंद होने में देरी हो जाती है. जब तक पायलट को एरिया कंट्रोल सेंटर की ओर से इस बात की इज़ाजत नहीं मिलती कि वो प्लेन को टेकऑफ कर सकता है, तब तक वो प्लेन उड़ा नहीं सकता. इसके अलावा कई बार एयरक्राफ्ट में कोई जीव दिख जाता है, तो इस वजह से भी देरी हो जाती है. कई बार तो रनवे पर भी जाकर फ्लाइट रुक जाती है क्योंकि पायलट को नैविगेशन से संबंधित क्लेयरेंस नहीं मिल पाती है और एयरक्राफ्ट को रोकना पड़ता है. आमतौर पर जब तक एयरक्राफ्ट में कोई बड़ी खराबी न हो, उसे वक्त पर ही उड़ाने की कोशिश की जाती है.