गैरसैंण: पांच किलोमीटर कंधे पर लाना पड़ा मरीज को

गैरसैंण: पांच किलोमीटर कंधे पर लाना पड़ा मरीज को
गैरसैंण: पांच किलोमीटर कंधे पर लाना पड़ा मरीज को

 गैरसैंण (अरुण नेगी) उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण  बीते कुछ समय से ही स्वास्थ्य सेवाओं के आभाव में लगातार सुर्खियों में है। अब गैरसैंण ब्लॉक मुख्यालय से करीब के गांवों से भी कही ऐसी तस्वीरे सामने आ रही है जो उत्तराखंड के 20 साल के विकास के दावों की पोल खोलते हुए नज़र आती है। मामला  गैरसैंण ब्लॉक के तेवाखर्क गांव का है जहाँ बीते शुक्रवार को एक 55 वर्षीय व्यक्ति कंचन सिंह की अचानक तबियत  खराब हो गई। गांव में सड़क न होने के चलते ग्रमीणों को उक्त व्यक्ति को डंडी-कंडी के सहारे पहले तो पांच किलोमीटर पैदल लाना पड़ा ऊपर से गैरसैंण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की लचार व्यस्था के चलते बीमाक को समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गैरसैंण की जगह रानीखेत ले जाना पड़ा।

संज्ञान लो सरकार
हैरानी की बात यह है कि इस गांव के लिए  2012 में ही सड़क स्वीकृत भी हो चुकी है लेकिन आज तक काम भी शुरू नही हो पाया। इस सड़क को लेकर इसी वर्ष फरवरी माह में स्थानीय ग्रमीणों ने अमरण अनसन तक किया जिसके बाद स्थानीय विधायक सुरेंद्र नेगी ने दो माह के भीतर काम शुरू होने की बात कही थी लेकिन छ माह बाद भी कोई काम शुरू नहीं हुआ। अब इस बात से आप अंदाजा लगा सकते है और वीडियो को देखकर और भी बेहतर समझ सकते हैं कि जहां गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी भले बना दिया गया हो लेकिन गैरसैंण क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं जैसे सड़क स्वस्थ एवं रोजगार लोगों की सबसे बड़ी परेशानी का सबब बना हुआ है। उम्मीद है कि राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत तक यह खबर पहुंचेगी और वह इस और इस पर एक्शन लेंगे।