विधानसभा सत्र में सीएम धामी ने खुद को किया साबित, मजबूत हुई सबको साथ लेकर चलने वाले सीएम की छवि

विधानसभा सत्र में सीएम धामी ने खुद को किया साबित, मजबूत हुई सबको साथ लेकर चलने वाले सीएम की छवि
CM Pushkar Singh Dhami (File)

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र सरकार और विपक्ष दोनों के ही कामकाज के लिहाज से तो ठीकठाक रहा ही, साथ ही पहली बार मुख्यमंत्री के रूप में सदन का सामना कर रहे सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी खुद को साबित किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सदन में न केवल अपना सियासी कौशल दिखाया वल्कि विपक्ष को भी साधने में सफल रहे। धरना दे रहे विपक्षी विधायकों की बात पूरे मनोयोग से सुनकर उनको भरोसा दिलाना सराहनीय रहा। इससे सीएम की समावेशी और गंभीर राजनेता के रूप में छवि दिखाई दी। खुद सीएम धामी पांचों दिन सदन में रहे और उन्होंने सदन में तमाम घोषणाएं भी कीं।  उधर, विपक्ष ने भी विभिन्न विषयों पर अपनी बात को प्रमुखता से रखकर और भीतर-बाहर प्रदर्शन कर सरकार को घेरने का जमकर घेरने का प्रयास किया। 
सभी की निगाहें थी सीएम धामी पर
चुनावी साल में हुए एक के बाद एक नेतृत्व परिवर्तन से सरकार के साथ बीजेपी संगठन भी हलकान हो गया था। पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत तो सदन का सामना तक न कर सके ऐसे में विधानसभा सत्र में जनता के साथ-साथ आलोचकों की नजर भी नए और युवा मुख्यमंत्री के ऊपर थीं कि मात्र माह भर पहले बने सीएम जो अब तक केवल दूसरी बार ही विधायक बने हैं, किस तरह सदन का सामना करते हैं। लेकिन सीएम धामी ने अपनी कार्यकुशलता और सियासी कौशल से सबको चौंका दिया। मुख्यमंत्री धामी ने अपने पहले विधानसभा सत्र को न सिर्फ बेहद गंभीरता से लिया, बल्कि अपने सियासी कौशल का परिचय देते हुए सत्र में लगभग हर रोज ही घोषणाएं भी कीं। साथ ही उत्तराखंड के विकास के लिए अपना विजन भी रखा।
विपक्ष को साथ लेकर चलने वाले सीएम की बनी छवि
सत्र के दौरान जब विपक्ष के विधायक विभिन्न मुद्दों को लेकर धरने पर बैठे तो मुख्यमंत्री ने सराहनीय रूप से लोकतंत्र के उच्च मानदंडों का निर्वहन करते हुए विपक्ष से सीधे बात की। वह खुद चलकर धरने पर बैठे विधायकों के पास गए बल्कि अपने साथ विधानसभा स्थित कार्यालय में ले जाकर उनकी समस्याओं को सुना और मुख्य सचिव को उनका समाधान करने का आदेश भी दिया। ऐसा करके उन्होंने न केवल विपक्ष को साधने का प्रयास किया बल्कि समकालीन राजनीति में अपने कद को ऊंचा भी उठाया। इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया कि कि जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर वह और उनकी सरकार पूरी तरह गंभीर है और इसमें पक्ष-विपक्ष का कोई भेदभाव नहीं करने वाली।
विपक्ष भी रहा धारदार
विपक्ष के नजरिये से देखें तो वह पिछले सत्रों की अपेक्षा इस मर्तबा पूरी तरह एकजुट और धारदार दिखा। सदन से सड़क तक विपक्ष ने सरकार को घेरने की जमकर कोशिस की। विपक्ष ने महंगाई, बेरोजगारी, कोरोना, कृषि कानून, जाति प्रमाणपत्र, मनरेगा समेत अन्य कर्मियों के मसलों को उठाते हुए अपनी बात प्रमुखता से रखते हुए सरकार को घेरने का प्रयास किया। विपक्ष की ओर से भू-कानून और देवस्थानम बोर्ड को लेकर असरकारी विधेयक भी लाए गए हालांकि वह पारित नहीं हो सके।
ये विधेयक हुए पारित
-उत्तराखंड विनियोग (2021-22 का अनुपूरक) विधेयक
-आईएमएस यूनिसन विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक
-डीआईटी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक
-उत्तराखंड माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक
-हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक
-उत्तराखंड फल पौधशाला (विनियमन) (संशोधन) विधेयक
-उत्तराखंड नगर निकायों एवं प्राधिकरणों के लिए विशेष प्राविधान (संशोधन) विधेयक
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ये गैर सरकारी विधेयक सदन से हुए अस्वीकार
-उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (संशोधन) विधेयक
-उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन (निरसन) विधे