'मुझे पहले से ही पता था.. ' पति के मुख्यमंत्री बनने की खबर पर बोलीं डॉ रश्मि रावत

'मुझे पहले से ही पता था.. ' पति के मुख्यमंत्री बनने की खबर पर बोलीं डॉ रश्मि रावत
डॉ रश्मि रावत (बांए) और उनकी बेटी लोकांक्षा

देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद पर तीरथ सिंह रावत की ताजपोशी के बाद उनके जीएमएस रोड स्थित आवास में उनकी पत्नी डॉ रश्मि रावत को बधाई देने के लिए लोगों के आने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। सबसे पहले पड़ोसियों ने बधाई देनी शुरू की थी तो धीरे-धीरे रिश्तेदारों की भीड़ भी जमने लगी थी। वहीं,  पुलिस की ओर से सुरक्षा भी बढ़ा दी गई थी। तीरथ के मुख्यमंत्री बनने पर डॉ रश्मि रावत का कहना है कि मुझे पहले से ही पता था कि तीरथ एक दिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनेंगे। चूंकि, तीरथ जमीन से जुड़े हुए नेता होने के साथ ही समाज के हर वर्ग के बारे में सोचते थे, इसलिए उनका मुख्यमंत्री बनना तय था। वह कहती हैं कि तीरथ हमेशा से ही मेहनत और लगन से काम किया करते हैं। बता दें कि डॉ. रश्मि रावत डीएवी पीजी कॉलेज देहरादून में मनोविज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं।
उनका कहना है कि हालांकि उनका नाम मीडिया में नहीं चल रहा था, लेकिन पार्टी ने उनको उनके मेहनत का इनाम दिया है।  पार्टी और संगठन में जो उनका अनुभव है उसका लाभ प्रदेश की जनता को मिलेगा। वह कहती हैं कि तीरथ को पहले से ही प्रशासनिक अनुभव है जिसक लाभ प्रदेश की जनता को जरूर मिलेगा। वह प्रदेश के पहले शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने बहुत ही बेहतर ढंग से अपना मंत्रालय भी चलाया था। डॉ. रश्मि कहती हैं कि तीरथ के मुख्यमंत्री बनने से शिक्षा के साथ ही स्वास्थ्य, सड़क, पेयजल सहित अन्य बुनियादी सुविधाओं का बेहतर ढंग से विकास होगा।  बताया कि कि वह अपनी बेटी को स्कूल से घर लेकर जा रही थीं तभी उन्हें फोन पर तीरथ के मुख्यमंत्री बनने की सूचना मिली थी।

कार चला रही थीं तब पता चला कि पति सीएम बन गए हैं

वह उस समय अपनी कार चला रही थीं। फोन आने पर उन्होंने कार रोककर बात की थी और तभी उन्हें पता चला था कि उत्तराखंड के अगले मुख्यमंत्री तीरथ  होंगे। वह कहती हैं कि तीरथ का स्वभाव बहुत ही ज्यादा सरल है। वह किसी भी गुट में शामिल नहीं होते हैं। पार्टी के सभी नेताओं के सुख-दुख में हमेशा शामिल होते हैं। पौड़ी गढ़वाल से सांसद होने के बावजूद भी तीरथ की कार में सांसद की नेमप्लेट तक नहीं है। तीरथ बहुत ही शांति प्रवति के इंसान होने के साथ ही हसमुख भी हैं। अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याओं काे दूर करने के लिए वह हमेशा से ही तैयार रहते हैं और साथ में ही, घर के लिए भी टाइम  निकाल लेते हैं।


वहीं बेटी, लोकांक्षा रावत भी पिता तीरथ के मुख्यमंत्री बनने पर बहुत ही ज्यादा उत्साहित हैं। वह कहती हैं कि उन्होंने कभी भी नहीं सोचा था कि उनके पिता उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनेंगे। प्रदेश में पिछले चार दिन से मचे सियासी संग्राम के बीच भी उनके पिताजी का कहीं नाम सामने नहीं आया था। ऐसे में अचानक मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी मिलने से वह बहुत ही ज्यादा खुश हैं। वहीं कहती हैं कि प्रदेश में विकास की योजनाओं को लाभ मिलने के साथ समाज के हर वर्ग का विकास होगा। 
उत्तराखंड  के पहले शिक्षा मंत्री
वर्ष 2000 में नवगठित उत्तराखण्ड के प्रथम शिक्षा मंत्री चुने गए थे। इसके बाद 2007 में भारतीय जनता पार्टी उत्तराखण्ड के प्रदेश महामंत्री चुने गए। प्रदेश चुनाव अधिकारी व प्रदेश सदस्यता प्रमुख रहे। 2013 उत्तराखण्ड दैवीय आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के अध्यक्ष रहे, वर्ष 2012 में चौबटाखाल विधान सभा से विधायक निर्वाचित हुए और वर्ष 2013 में उत्तराखण्ड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बने। इससे पूर्व वर्ष 1983 से 1988 तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक रहे, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (उत्तराखण्ड) के संगठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री रहे।