सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं रखना चाहता - पंकज कुमार

सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं रखना चाहता - पंकज कुमार
सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं रखना चाहता - पंकज कुमार

देहरादून: बॉलीवुड में सफल अभिनेता के रूप में पहचान बना रहे अभिनेता पंकज कुमार ने 2018 में वम्सि पैदिपल्ली की  निर्देशित फिल्म "महर्षि" से अपने करियर की शुरूआत की थी। करौली, राजस्थान निवासी पंकज कुमार के पिता भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) में जॉब करते हैं। जब वह 17 साल के थे तभी से उनके मन में अभिनय करने की ललक पैदा हो गई। इसके बाद वह अपने सपने को साकार करने में जुट गए और अब वह बतौर अभिनेता काफी व्यस्त हैं।

कई फिल्मों मे तमाम तरह की भूमिका निभा रहे कैमला के पंकज कुमार ने रजनीकांत के साथ व कृष्णा अभिषेक की फिल्म मरने भी दो यारो आदि कई बॉलीवुड फिल्मों और साउथ फिल्मों में काम किया है ।अब तक वह लगभग 16 फिल्मों में काम कर चुके हैं उनमें से कई नामी हीरोज के साथ काम किया है जैसे साउथ के ही नहीं अपितु भारत के महान सुपरस्टार रजनीकांत के साथ में उन्होंने पेट्टा मूवी में काम किया है। चैतन्य नागार्जुन की फिल्म मांजलि में बड़े सुपरस्टार्स के साथ में उन्होंने काम किया और बॉलीवुड में जॉन इब्राहिम कि बाटला हाउस और अभिषेक चौहान और कृष्णा अभिषेक की फिल्म मरने भी दो यारो में भी उन्होंने अपना किरदार निभाया है। इसेक अलावा अमरीश पुरी के बेटे वर्धन की फिल्म यह साली आशिकी में भी उन्होंने अभिनय किया ।
ऐसे शुरू हुआ फिल्मों का सिलसिला
पंकज कुमार बताते हैं कि देहरादून के एफआरआई स्टेडियम में अक्सर फिल्मों की शूटिंग होती रहती थी। पास में एक फिल्म और टीवी संस्थान था सो वहां उन्होंने शौकिया तौर पर वहां कुछ वर्कशॉप कीं। एक दिन फिल्म की कास्टिंग टीम वहां आई थी, उन्हें एक एथलीट की तलाश थी। पंकज कुमार एथलीट होने के साथ साथ अभिनय की ट्रेनिंग ले रहे थे, इसलिए उनका चयन हो गया।
पहली फिल्म के लिए हुई तारीफ
बकौल पंकज कुमार सभी को फिल्म "महर्षि"काफी पसंद आयी। सभी बहुत खुश थे।  दोस्तों और परिवार ने वास्तव में उनके काम की सराहना की। एक शुरुआत के रूप में यह एक अच्छा अनुभव था।
नीरज चोपड़ा की बायोपिक में काम करने का है सपना
एक एथलीट होने के नाते उनका सपना है कि 2020 टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल विजेता जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा की बायोपिक  में उनका किरदार निभाना चाहते हैं।

अपने आप को वह केवल फिल्मों तक सीमित नहीं रख रहे हैं। संघर्षों के बाद अपना मुकाम बनाने के बाद उन्होंने खुद का एक प्रोडक्शन हाउस खोला है । जिसे उन्होंने जयपुर में रखा ताकि वह राजस्थान में बच्चों को अपनी फिल्मों से रोजगार दिला सके और फ्रेशर्स को सपोर्ट कर सके