प्रोपगैंडा ही निकली इस बार भी बगावत की खबरें!

प्रोपगैंडा ही निकली इस बार भी बगावत की खबरें!
CM Trivendra Singh Rawat (File Pic)

देहरादून: उत्तराखंड की राजनीति में इन दिनों फिर से विधायकों की नाराजगी की खबरें खूब तैर रही हैं, इन खबरों को प्रोपगैंडिए खूब आगे बढ़ा रहे हैं। दरअसल शोसल मीडिया के इस दौर में ये प्रोपगैंडिए अक्सर सीएम को निशाने पर लेते रहते हैं। दरअसल इनकी सीएम त्रिवेन्द्र से दुश्मनी तभी शुरु हो गई थी जबकि सीएम त्रिवेन्द्र ने राज्य सचिवालय को माफिया और दलालों की पहुंच से दूर कर दिया। याद कीजिए पिछली सरकारों के दिनों को जब मंत्रियों, अफसरों यहां तक कि सीएम कार्यालय तक पहुंच बताने वाले दलाल मिल जाते थे। कोई न कोई घोटाला आए दिन सामने आ जाता था जिनकी जांच अब तक चल रही है। माफिया निडर होकर रुतबा झाड़ रहे थे। सरकारों को बनाने और बिगाड़ने और बनाने के काम भी खूब हो रहे थे लेकिन 2017 में जब प्रचंड बहुमत के साथ भाजपा की सरकार बनी तो इस बात का किसी को अंदाजा भी नहीं रहा कि त्रिवेन्द्र सरकार न केवल भ्रष्टाचार पर लगाम लगाएगी बल्कि दलालों और माफिया की कमर भी तोड़ेगी। लेकिन यह हुआ और इसका सबूत है त्रिवेन्द्र सरकार का बेदाग कार्यकाल। इसी जीरो टालरेंस की नीति के कारण पिछली सरकारों में सत्ता की करीबी का सुख भोगने वाले दलाल अब सीएम त्रिवेन्द्र के शत्रु बन गए हैं और आए दिन इस तरह के प्रोपगैंडा फैलाते रहते हैं कि सीएम हटने वाले हैं, सीएम के खिलाफ बगावत होने वाली है या फिर सीएम का स्टिंग हो गया है इत्यादि। लेकिन कुछ दिन बाद ही इनकी असलियत सामने आ जाती है। दरअसल ट्रांसफर पोस्टिंग का धंधा लगभग बंद हो चुका है । न डीएम और कप्तान से  पहले की तरह वसूली होती है । सत्ता की दलाली करने वाली कई दुकानें बंद हुई हैं, सत्ता के गलियारों में फाइलें लेकर घूमने वाले दलालों की घुसपैठ बंद हुई या बहुत कम हो चुकी है । मंत्रियों की मनमानी पर भी  मुख्यमंत्री प्रभावी नियंत्रण है । उत्तराखंड को बेचने या सीएम या मंत्री को स्टिंग के दम पर ब्लैकमेल करने वालों की कमर तोड़ी गई है। 
ऐसा ही कुछ इस बार भी हुआ है। प्रोपगैंडियों ने खबर फैलाई कि सीएम के खिलाफ भाजपा विधायकों का एक समूह बिशन सिंह चुफाल के नेतृत्व में सीएम को हटाने की मांग को लेकर दिल्ली दरबार गया है। लेकिन खुद चुफाल ने इन खबरों को निराधार बताया है और कहा है कि उनको सीएम से कोई दिक्कत नहीं है। वह क्षेत्र के मुद्दों को लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले हैं। यही नहीं उन्होंने खुद को पार्टी की कर्मठ सिपाही बताया।
दरअसल उत्तराखंड के विकास में सबसे बड़ी बाधाएं जो हैं उनमें राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार, दलालों का वर्चस्व प्रमुख हैं। इन पर काफी हद तक त्रिवेंद्र सरकार ने लगाम लगाई है। ट्रांसफर और पोस्टिंग के धंधे को बंद किया है। ऐसे में फिर से प्रदेश को राजनीतिक अस्थिरता के गर्त में झोंकना कहां की समझदारी है। इसलिए प्रदेश के विकास के विरोधी इस मानसिकता को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए।