तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद 

तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद 
तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद 

रुद्रप्रयाग। तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट वैदिक मंत्रोचार और रीति रिवाज के साथ बुधवार को शीतकाल के लिए बंद हो गए। इस मौके पर बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों एवं स्थानीय भक्तों ने भाग लिया। बुधवार को देर सायं भगवान की डोली चोपता पहुंची। जबकि 6 नवम्बर को डोली शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कण्डेय मंदिर मक्कूमठ पहुंचेगी। बुधवार सुबह तुंगनाथ मंदिर में भगवान की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई जबकि इसके बाद भगवान के स्यंभूशिव लिंग की समाधि पूजा संपन्न हुई। इसके बाद परम्परानुसार मंदिर के कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होने के बाद भगवान की उत्सव डोली अपने पहले पड़ाव चोपता को रवाना हुई और देर सायं चोपता पहुंची। 5 नवंबर को डोली भनकुंड, 6 नवंबर को शीतकालीन गद्दी स्थल मार्कण्डेय मंदिर मक्कूमठ में विराजमान होगी। इसी के साथ मक्कूमठ में तृतीय केदार तुंगनाथ की शीतकालीन पूजाएं शुरू होंगी। इस यात्रा वर्ष में साढ़े चार हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने भगवान तुंगनाथ के दर्शन किए। इस मौके पर मठाधिपति रामप्रसाद मैठाणी, पुजारी रविंद्र मैठाणी, सतीश मैठाणी, प्रबंधक प्रकाश पुरोहित, सहायक प्रबंधक विक्रम रावत संदीप, जगमोहन, आचार्य लम्बोदर मैठाणी, क्षेपंस लक्ष्मण सिंह, देवानंद गैरोला, शिव सिंह रावत, रणजीत रावत, नवीन मैठाणी, संतोष नेगी, गीताराम मैठाणी, अतुल मैठाणी, दिवाकर डिमरी, आशीष मैठाणी, रविंद्र भट्ट, विक्रम सिंह रावत, लोकगायिका पूनम पाठक, पंकज भट्ट के साथ ही आईटीबीपी का 24 सदस्यीय दल आदि मौजूद थे। वहीं डोली के चोपता पहुंचने पर देवस्थानम बोर्ड के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल, कोषाध्यक्ष आरसी तिवारी एवं स्थानीय जनता द्वारा उत्सव डोली का स्वागत किया गया।