कहानी एक तहसील की जो आधे दशक से सिर्फ कागजों पर है..!

कहानी एक तहसील की जो आधे दशक से सिर्फ कागजों पर है..!
वीरान पड़ी देवाल की कानूनगो चौकी

थराली/देवाल (मोहन गिरी): उत्तराखंड में घोषणाओं और शासनादेशों को किस तरह ठंडे बस्ते में डाला जाता है इसकी एक बानगी देखने को मिली थराली विधानसभा के देवाल विकासखण्ड में जिसे पिछली कांग्रेस सरकार में वर्ष 2016 में तहसील का दर्जा दिया गया था। विषम भौगोलिक स्थिति और दूर दराज क्षेत्रो तक प्रशासन की राह सुगम करनें के लिए पहले इसे उप तहसील और फिर संशोधित करके तहसील का दर्जा दिया गया ताकि आपदा जैसी परिस्थितियों में प्रशासन तक सूचनाएं सुगमता से पहुंच सकें और प्रशासन भी प्रशासनिक सेवाओं, आपदा, दुर्घटना आदि के दौरान देवाल के सुदूरवर्ती क्षेत्रो में आसानी से पहुंच सके। या फिर अपनी समस्याओं को लेकर कोई ज्ञापन हो या फिर चाहे जरूरी प्रमाणपत्रों के लिए खाता खतौनी निकलवानी हो इन्ही सब सुविधाओं के लिए पिछली सरकार ने देवाल को तहसील तो बना दिया और तहसीलदार का पद भी स्वीकृत कर दिया लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि स्थापना के 5 वें साल में भी न तो यहां तहसील के कोई भवन नजर आता है और न ही तहसीलदार। न तो यहां समस्याओं का निपटारा होता है और न ही यहां से खाता खतौनी निकल पाती है अलबत्ता ये बात अलग है कि सरकार के अलग अलग नुमाइंदे कतिपय बार इस तहसील के अपने अपने तरीके से उद्घाटन भी करवा चुके हैं लेकिन देवाल की अवाम का ये दुर्भाग्य नहीं तो और क्या है कि अपने ही विकासखण्ड में तहसील होने के बावजूद यहां की जनता महज एक खाता खतौनी के लिए थराली के चक्कर लगा रही है। तहसील के अपना भवन निर्माण होना तो दूर पूर्व में बनी कानूनगो चौकी तक यहां वीरान पड़ी है। अब फिर से विधानसभा चुनावों सिर पर हैं अब देखना है कि फिर से इसका उद्घाटन ही होता है या यह तहसील धरातल पर भी उतरती है? देखें वीडियो रिपोर्ट