..और 'जमींदार' हो गए राहत साहब..!

..और 'जमींदार' हो गए राहत साहब..!
छोटी खजरानी (इंदौर) कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किए डॉ राहत इंदौरी

 इंदौर: प्रसिद्ध शायर डॉ. राहत इंदौरी का इंदौर में मंगलवार शाम करीब पांच बजे निधन हो गया। इसके बाद रात को ही साढ़े नौ बजे छोटी खजरानी (इंदौर) कब्रिस्तान में उनको सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए उनको दफनाया गया। अरबिंदो अस्‍पताल से ही उनके शव को एंबुलेंस के जरिए कब्रिस्‍तान लाया गया। वहां नमाज अदा की गई और चुनिंदा लोगों की मौजूदगी में उनकी अंत्‍येष्टि की गई। इसके साथ ही उनके ट्विटर अकाउंट से अपील की गई कि लोग अपने-अपने घरों से ही राहत साहब की आत्मा की शांति के लिए दुआ करें।अंतिम सांस के साथ ही अब वे 'जमींदार" हो गए हैं। दरअसल, शायरी के लंबे दौर में उन्होंने कभी कहा था-
"कश्ती तेरा नसीब चमकदार कर दिया, इस पार के थपेड़ों ने उस पार कर दिया।
दो गज सही ये मेरी मिलकियत तो है, ऐ मौत तूने मुझे जमींदार कर दिया।"
इस शेर में जमींदार होने से उनका आशय था कि जिस जमीन में उन्हें दफनाया जाएगा, वह भले ही दो गज की हो, मगर हमेशा के लिए उनकी मिलकियत (संपत्ति) हो जाएगी। उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इसके बाद उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था। कोरोना से संक्रमित होने की जानकारी राहत इंदौरी ने खुद ट्वीट कर दी थी।