राज्य बनने के बाद की सबसे अच्छी खबर 'आप' का चुनाव लड़ने का निर्णय: प्रभात डबराल

राज्य बनने के बाद की सबसे अच्छी खबर 'आप' का चुनाव लड़ने का निर्णय: प्रभात डबराल
Demo Pic

आप पार्टी का ये फ़ैसला कि वो उत्तराखंड की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, राज्य बनने के बाद यहाँ के लोगों को मिलने वाली सबसे अच्छी खबर है.क्यों ?इस सवाल का जवाब देने से पहले ये केविएट कि अपन इस पार्टी के एक भी बड़े नेता से आजतक नहीं मिले हैं, ना मिलने का कोई इरादा है. हाँ, ये पार्टी मुझे पसंद है और पिछले कुछ सालों से इसे हर माह एक छोटी सी रक़म चंदे के रूप देता हूँ जो मेरे बैंक खाते से हर महीने इनके पास चली जाती है.
अब अपने प्रदेश की बात. राज्य सूचना आयुक्त के रूप में पाँच साल तक काम करते हुए मुझे राज्य के एक एक विभाग के कामकाज को भीतर से देखने का मौक़ा मिला. स्थापित राजनीतिक दलों के नेताओं की चाल, चरित्र और प्रशासनिक कुशलता का तो हम सब को पता ही है.मेरा मानना है कि प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी, इन दोनों पार्टियों ने अपने राजनीतिक चरित्र का जो बँटाधार किया सो तो किया ही नागरिक प्रशासन के ढाँचे को भी बुरी तरह सड़ा दिया है. अब जो भी सुधार होना है उसे आमूल चूल ही होना होगा.
खुद ये टेस्ट कीजिए:
१) अपने गाँव/ क़स्बे के किसी भी उचक्के का नाम लीजिए और फिर देखिए कि वो इन दोनों में से किसी एक पार्टी का कार्यकर्ता है या नहीं.
२) अब अपने विधायक के इर्द गिर्द जमा लोगों पर नज़र डालिये, उनमें कोई शरीफ़ / ईमानदार व्यक्ति ढूँढने की कोशिश कीजिए.
मैं ये नहीं कह रहा कि ये दोनों चोर उचक्कों की पार्टियाँ हैं. दोनों पार्टियों में भले लोग भी हैं. ख़ासकर बीजेपी में आरएसएस के पुराने लोग हैं जो और कुछ भी हों बेईमान तो नही ही कहे जा सकते. लेकिन इन भले लोगों की इन पार्टियों में चलती वलती नहीं है. बोलबाला कलाकारों का ही है.
ये भी हमेशा ध्यान में रखिए कि ये दोनों ही पार्टियाँ पृथक उत्तराखंड राज्य का विरोध करती रहीं. जब इस माँग ने जन आंदोलन का रूप ले लिया तब इसमें शामिल हुईं. उत्तराखंड इनके लिए वैसा ही है जैसा सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नया विभाग खुलना - कुछ नई पोस्ट क्रियेट हो गयीं, बस. 
अख़बार टीवी और इन दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता कुछ भी कहें ‘आप’ ने दिल्ली बदल दी है - ख़ासकर शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में. बिजली पानी सस्ती की है सो अलग. सबसे बड़ी बात ये कि सरकारी भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है.
इसलिए भाईलोगों, अगर आप पार्टी कोटद्वार में किसी अनजान व्यक्ति को टिकट देती है तो अपना वोट ‘आप’ को. किसी जाने पहचाने खिलाड़ी को दिया तो सोचना पड़ेगा. (वरिष्ठ पत्रकार एवं उत्तराखंड के पूर्व सूचना आयुक्त प्रभात डबराल की फेसबुक वॉल से साभार)