अल्मोड़ा: गांव वालों ने कहा नहीं देंगे इस बार वोट, मनाने, समझाने पहुंची प्रशासन की टीम

अल्मोड़ा: गांव वालों ने कहा नहीं देंगे इस बार वोट, मनाने, समझाने पहुंची प्रशासन की टीम
अल्मोड़ा: गांव वालों ने कहा नहीं देंगे इस बार वोट, मनाने, समझाने पहुंची प्रशासन की टीम

धौलछीना (अल्मोड़ा)। सड़क के मुद्दे को लेकर इस बार भैसियाछाना ब्लॉक के बबूरियानायल गांव के लोगों ने रोड नहीं तो वोट नहीं का एलान कर दिया। ग्रामीणों के इस एलान से रविवार को जिला प्रशासन की टीम ग्रामीणों को मनाने, समझाने पहुंची। पहली वार्ता में फिलहाल ग्रामीणों ने सकारात्मक रूख दिखाया है। अगर ग्रामीणों का रुख फिर भी नकारात्मक रहता है तो प्रशासन की टीम फिर गांव जाएगी।
बबूरियानायल गांव के ग्रामीण लंबे समय से सड़क का इंतजार कर रहे हैं। हर चुनाव में उन्होंने सड़क की मांग उठाई लेकिन वह पूरी नहीं हुई। सड़क न होने के कारण गांव से लगातार पलायन हो रहा है। जिसके चलते ग्रामीण 2019 में हुए लोकसभा चुनाव का भी बहिष्कार कर चुके हैं जिसके चलते लोस चुनाव में इस गांव के बूथ पर एक भी वोटर नहीं पहुंचा। इसके बाद भी चुनाव जीतने वाले नेताओं ने ग्रामीणों की सुध नहीं ली। इस बार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ग्रामीणों ने एकमत होकर रोड नहीं तो वोट नहीं का एलान कर दिया। दो दिन पूर्व इस संबंध में ग्रामीणों ने डीएम वंदना सिंह को ज्ञापन सौंपा। मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल डीएम ने डीडीओ केएन तिवारी के नेतृत्व में ब्लॉक स्तरीय टीम का गठन कर ग्रामीणों से वार्ता के लिए भेजा। अधिकारियों ने ग्रामीणों से वार्ता कर उन्हें मनाने, समझाने का प्रयास किया। ग्रामीणों का कहना था कि अगर जल्द ही सड़क नहीं मिली तो वह आंदोलन और तेज करने के साथ ही आमरण अनशन करने के लिए भी बाध्य होंगे। प्रशासन ने भी जल्द से जल्द उन्हें समस्या समाधान का आश्वासन दिया। गांव पहुंचने वाली प्रशासनिक टीम में स्वीप संयोजक विनोद कुमार राठौर, बीडीओ केएस भोज, वीडीओ मनोज बोरा, पीएमजीएसवाई के ईई एएससी पंत, वन दरोगा मोहन चंद्र भट्ट थे। वार्ता में ग्राम प्रधान महेश बोरा, लाल सिंह मेहरा, गोपाल सिंह मेहरा, रणजीत सिंह जीना, त्रिलोक सिंह सहित अन्य ग्रामीण शामिल थे।
2009 में एसडीएम ने तुड़वाया था ग्रामीणों का अनशन
अल्मोड़ा। बबुरियानायल के ग्रामीणों ने सड़क की मांग को लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव का भी बहिष्कार किया था। तब प्रशासन ने लोक निर्माण विभाग को मुख्य मार्ग से गांव को मोटर मार्ग के साथ जोड़ने के लिए सर्वे करने के आदेश दिए थे। जिसके बाद तत्कालीन एसडीएम ने ग्रामीणों का अनशन तुड़वाया था, लेकिन न ही सर्वे हुआ और न सड़क बनी।