आखिरकार मिल गई लखवाड़ जल विद्युत परियोजना को पर्यावरणीय स्वीकृति

आखिरकार मिल गई लखवाड़ जल विद्युत परियोजना को पर्यावरणीय स्वीकृति
आखिरकार मिल गई लखवाड़ जल विद्युत परियोजना को पर्यावरणीय स्वीकृति

देहरादून: लखवाड़ जल विद्युत परियोजना को पर्यावरणीय स्वीकृति मिल गई है। आखिरकार 44 साल बाद अब इस बांध के बनने की उम्मीद जगी है।1976 में पहली बार योजना आयोग ने प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी।  साल 1987 में प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ, लेकिन चार साल बाद ही 1992 में ही काम रोक दिया गया। वर्ष 2017 में दोबारा काम शुरू करने की तैयारी हुई, तो एनजीटी ने रोक लगा दी। आधार बनाया गया कि वर्ष 1987 में मिली पर्यावरणीय मंजूरी के बाद अब हालात बदल गए हैं। इसीलिए नये सिरे से पर्यावरणीय आंकलन कराया जाए। इस पर दोबारा ईआईए कराया गया। जनसुनवाई का लंबा दौर चला। अब जाकर विधिवत मंजूरी मिल पाई।
चार साल में पूरा होगा प्रोजेक्ट
लखवाड़ प्रोजेक्ट यदि अभी शुरू होता है,तो चार साल के भीतर इसे पूरा कर लिया जाएगा। इसके लिए एक समय सीमा तय कर दी गई है। ताकि काम समय पर पूरा हो सके। इसके साथ ही प्रोजेक्ट की लागत को सीमित रखा जाए।
केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार
लखवाड़ प्रोजेक्ट विधिवत तरीके से शुरू होने के लिए अब सिर्फ केंद्रीय कैबिनेट से मिनिस्ट्री ऑफ इकोनॉमिक्स की रिपोर्ट को हरी झंडी का इंतजार किया जा रहा है। इसके लिए सभी राज्यों के बीच एमओयू होना जरूरी था, जो पहले हो चुका है।
 300 मेगावाट की लखवाड़ प्रोजेक्ट से उत्तराखंड के साथ ही हिमाचल, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा को पानी का लाभ मिलेगा। सभी राज्यों के सीएम की अंतिम मंजूरी दे चुके हैं। केंद्र की ओर से वित्तीय मंजूरी मिलते ही काम शुरू होगा। राज्य इस प्रोजेक्ट की सभी कागजी तैयारी पूरी कर चुका है।
लखवाड़ प्रोजेक्ट पर नजर
लखवाड़ परियोजना के तहत उत्तराखंड देहरादून जिले के लोहारी गांव के पास यमुना नदी पर 204 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनेगा। बांध की जल संग्रहण क्षमता 330.66 एमसीएम होगी। इससे 33,780 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी। इसके साथ ही इससे यमुना बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों में घरेलू तथा औद्योगिक इस्तेमाल और पीने के लिए 78.83 एमसीएम पानी उपलब्ध होगा। प्रोजेक्ट के तहत संग्रहित जल का बंटवारा यमुना के बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों के बीच 12 मई 1994 को किये गये समझौते के अनुरूप होगा।
मंजूरी से प्रोजेक्ट के जल्द शुरू होने की जगी उम्मीद
अब केंद्र सरकार को बजट स्वीकृति को भेजा जाएगा प्रस्ताव
बांध परियोजना के निर्माण को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) से स्वीकृति मिलने के बाद परियोजना शुरू होने की आस जग गई है। परियोजना के अधिशासी निदेशक राजीव अग्रवाल ने बताया कि अब राज्य सरकार की ओर से बजट स्वीकृत कराने को केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। इस प्रोजेक्ट से बिजली की कमी से जूझ रहे प्रदेश की मुश्किलें कम होंगी। इस प्रोजेक्ट से पैदा होने वाली बिजली पर सिर्फ उत्तराखंड का हक होगा। लखवाड़ बांध बनने से टिहरी जिले के 22 और देहरादून जिले के 10 गांव प्रभावित होंगे।
 परियोजना निर्माण के लिए एनजीटी की स्वीकृति मिलने पर लखवाड़ बांध विकास समिति के अध्यक्ष बचन सिंह पुंडीर, अनिल पंवार, संदीप चौहान, जितेंद्र चौहान,रमेश पंवार, अजीत चौहान, रणवीर चौहान, नरेश पुंडीर, महिपाल सिंह पंवार, आनंद सिंह पुंडीर, राजेश पुंडीर, खजान सिंह आदि ने कहा कि बांध बनने के बाद स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलने के साथ ही जौनसार-बावर और पछुवादून के विकास को भी गति मिलेगी। राजीव अग्रवाल, अधिशासी निदेशक लखवाड़ परियोजना ने बताया कि लखवाड़ जल विद्युत परियोजना के निर्माण के लिए दो फरवरी को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण की ओर अनापत्ति मिल चुकी है। जल्द ही केंद्र से बजट स्वीकृति के लिए उचित माध्यम से प्रस्ताव भेजा जाएगा।