थराली: डाक्टरों ने आखिर क्यों काली पट्टी बांध कर विरोध दर्ज कराया?

थराली: डाक्टरों ने आखिर क्यों काली पट्टी बांध कर  विरोध दर्ज कराया?
थराली: डाक्टरों ने आखिर क्यों काली पट्टी बांध कर विरोध दर्ज कराया?

थराली (मोहन गिरी): डॉक्टर धरती के भगवान कहे जाते हैं और इस वक्त जबकि कोरोना के कहर से पूरा विश्व थर्रा रहा है ऐसे में धरती के यही भगवान अपना कर्तव्य निभाते हुए मरीजो  की सेवा जुटे हैं और लोगो की जान बचाने में लगे हैं।  लेकिन हाल फिलहाल धरती के ये भगवान सरकार से नाराज चल रहे हैं , क्या है मामला देखिए इस रिपोर्ट में। प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ उत्तराखंड के आव्हान पर अपनी विभिन्न मांगों को लेकर संघ से जुड़े  चिकित्सकों ने चिकित्सालय में काली पट्टी बांध अपना विरोध जताया है।  सीएससी थराली सहित पीएचसी नारायणबगड़, देवाल, ग्वालदम और तलवाड़ी में भी डॉक्टरों ने काली पट्टी बांध अपना विरोध तो जताया साथ ही अस्पताल में आने वाले हरेक मरीज के उपचार में जुटे रहे ।  
चिकित्सकों ने महासचिव प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ को प्रेषित पत्र में कहा  कि कोरोना काल में 24 x7 घंटे कार्य करने के बाद भी जिला प्रशासन द्वारा विभिन्न चिकित्सकों का अगस्त माह का वेतन रोकने का आदेश दिया गया है। संजय गुप्ता लगातार कोरोना मरीजों के सैंपल कर रहे हैं बावजूद इसके उनके निलंबन की संस्तुति जिला प्रशासन द्वारा दी गई है। इसके साथ ही जहां पूरे देश मे कोरोना वारियर्स का सम्मान और उन्हें प्रोत्साहन राशि दी जा रही है वहीं उत्तराखंड में  बिना सहमति के ही चिकित्सको का 1 दिन का वेतन काटा जा रहा है, कुछ का प्रगति के नाम पर वेतन रोका गया है इससे चिकित्सकों का मनोबल टूट रहा है।
थराली विधानसभा क्षेत्र के स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात   डॉ नवनीत चौधरी,  डॉ पूनम टम्टा,  डॉ ऐश्वर्या रेवाड़ी, डॉ प्रशांत,  डॉ अमित, डॉक्टर रिचा वर्मा,  डॉ प्रीति तोमर,डॉक्टर नवीन डिमरी  ये वो चिकित्सक हैं जो उन पहाड़ों में अपनी चिकित्सकीय सेवाएं दे रहे हैं जिन पहाड़ों के स्वास्थ्य केंद्रों में सरकारें बीस साल बाद भी संसाधन न जुटा सकी।  ऐसे में चिकित्सकों की मांग है कि आये दिन जब भी अस्पताल में कोई घटना घटती है तो तीमारदार से लेकर स्थानीय प्रशासन तक सीधे डॉक्टर को जिम्मेदार बताते हुए आरोप मढ़ना शुरू कर देते हैं ऐसे में जरूरी है कि पहाड़ के इन अस्पतालों में सरकार संसाधन मुहैया कराए ताकि बेहतर चिकित्सा सेवाएं मरीजो को मिल सके।
प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ उत्तराखंड द्वारा 1 सितंबर से 7 सितंबर तक मांगों के समर्थन में डॉक्टरों को काली पट्टी बाद कार्य करने का निर्णय लिया गया है। यदि संघ की मांग पर सकारात्मक कार्रवाई नहीं की जाती है तो संघ से जुड़े सभी डॉक्टर 8 सितंबर को सामूहिक रूप से अपने त्यागपत्र देंगे। ऐसे में सवाल उठता है कोरोना काल में यदि डॉक्टर ही त्यागपत्र दे देते हैं तो दुर्गम पहाड़ो में  मरीजों का सुगम  इलाज किस तरह होगा?