महान फुटबॉलर डिएगो माराडोना नहीं रहे, 60 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस

महान फुटबॉलर डिएगो माराडोना नहीं रहे, 60 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस
महान फुटबॉलर डिएगो माराडोना नहीं रहे, 60 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस

अर्जेन्टीना के महान फुटबॉलर और कोच रह चुके डिएगो माराडोना (Diego Maradona) का 60 साल की उम्र में निधन हो गया। दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हुआ। बता दें कि इसी माह उनकी ब्रेन सर्जरी हुई थी और दो सप्ताह पहले ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली थी। माराडोना को विश्व के महान फुटबॉलरों में शामिल किया जाता है। 1986 में अर्जेंटीना को विश्व चैंपियन बनाने में मराडोना का बड़ा हाथ रहा था।
माराडोना बोका जूनियर्स, नपोली और बार्सिलोना के लिए क्लब फुटबॉल खेल चुके हैं। दुनिया भर में उनकी बहुत फैन फॉलोइंग रही है। ड्रग्स और शराब की लत के चलते वह कई बार विवादों में भी रह चुके हैं। अर्जेंटीना फुटबॉल असोसिएशन ने शोक जताते हुए कहा, 'हमारे लीजेंड के निधन से हम शोक में डूबे हैं, आप हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे।' अर्जेंटीना की ओर से खेलते हुए माराडोना ने 91 मैचों में 34 गोल किए। अर्जेंटीना की ओर से माराडोना ने चार वर्ल्ड कप में हिस्सा लिया है।
बचपन से करिश्माई
सिर्फ दस साल की उम्र में वह स्थानीय क्लब एस्त्रोला रोसा से खेलने लगे। दो साल बाद मामूली पैसा देकर लोस कैबोलिटास ने अपने साथ जोड़ा। डिएगो में परिवार को गरीबी से निकालने की धुन सवार हो चुकी थी। असाधारण खेल से वह चर्चित हो चुके थे, पर डिएगो के लिए यह महज शुरुआत थी। 15 साल की उम्र में अर्जेंटीनोसा जूनियर्स से पेशेवर करियर का आगाज किया। 167 मैचों में 115 गोल ठोक डाले।
बड़े फुटबॉल क्लबों से रिकॉर्ड करार
नामी क्लब बोका जूनियर्स की नजर उन पर पड़ी। क्लब ने 10 लाख पाउंड की अच्छी कीमत देकर उन्हें अपने साथ जोड़ लिया। धुआंधार प्रदर्शन से माराडोना को अगले साल राष्ट्रीय टीम में चुना गया। 1982 में उन्हें पहला वर्ल्ड कप खेलने का मौका मिला पर वह पांच मैचों में दो गोल ही ठोक पाए, पर उनकी टीम सेमीफाइनल में पहुंची, माराडोना को यह यकीन हो गया था कि उनकी टीम में भी चैंपियन बनने का दम है। 
अकेले दम पर अर्जेंटीना को चैंपियन बनाया
1986 का विश्व कप पूरी तरह माराडोना के नाम रहा। उन्हें टीम की कप्तानी सौंपी गई और वह अकेले दम पर अर्जेंटीना को पहली बार चैंपियन बनाकर लौटे। उन्होंने पांच गोल किए और पांच में मदद की। इससे उन्हें टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का गोल्डन बॉल अवॉर्ड भी मिला। सिर्फ उनके देश में ही नहीं, पूरी दुनिया में ‘डिएगो-डिएगो' का नाम गूंज उठा। माराडोना उस दौर में सबसे लोकप्रिय शख्स बन गए। 1997 में अपने जन्मदिन पर फुटबॉल से संन्यास लिया। 2008 में लियोनल मेस्सी की टीम के कोच बने, पर क्वार्टर फाइनल में टीम हार गई।